जी20 शेरपा बैठक सम्पन्न : विदेशी मेहमानों को गुलाब का फूल देकर किया विदा
उदयपुर, 8 दिसंबर। भारत की अध्यक्षता में उदयपुर में आयोजित जी-20 शेरपा बैठक के सफल आयोजन के बाद गुरुवार को दुनियाभर से आए विदेशी मेहमानों को गुलाब का फूल देकर विदा किया गया।
चार दिवसीय जी-20 शेरपा बैठक खत्म होने के बाद शेरपा और डेलिगेट्स अपने-अपने देश के लिए रवाना हो गए। इस दौरान उदयपुर पर्यटन उपनिदेशक शिखा सक्सेना ने डबोक एयरपोर्ट पर विदेशी मेहमानों को गुलाब का फूल देकर विदाई दी।
भारत के शेरपा अमिताभ कांत भी गुरुवार को रवाना हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि उदयपुर का आयोजन सभी पैमानों पर खरा उतरा है। उदयपुर को देख कर दुनिया भर से आए मेहमान भी गदगद नजर आए। पहली ही बैठक में उदयपुर ने एक बेंच मार्क सेट किया है। इस दौरान शेरपा ने कहा कि राजस्थान की संस्कृति, मर्यादा और यहां के लोगों की भावनाएं लोगों को लुभाती हैं। इस बैठक के बाद देश दुनिया की निगाहों में उदयपुर बढ़ चढ़कर आया है।
झीलों की नगरी उदयपुर की खूबसूरती और यहां की नीली झीलों को देखकर दुनिया भर से आए मेहमान भी इस शहर के दीवाने हो गए। बीते 4 दिनों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों को लेकर मेहमानों ने कहा कि अद्भुत लोक संस्कृति की लोक धरा है उदयपुर। अमिताभ कांत ने पर्यटन विभाग की ओर से आयोजित बेहतरीन सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सराहना की। मेहमानों को राजस्थान की समृद्ध संस्कृति से रूबरू कराने के उद्देश्य से 4 से 7 दिसम्बर तक विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
जी20 शेरपा बैठक के अंतिम दिन विदेशी मेहमानों ने कुम्भलगढ़ और रणकपुर जैन मंदिर का भ्रमण किया। सुबह उदयपुर से सभी शेरपा कुम्भलगढ़ के लिए रवाना हुए। विदेशी मेहमान पहले वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप की जन्म स्थली कुम्भलगढ़ दुर्ग, लम्बी प्राचीर तथा पाली जिले में रणकपुर जैन मंदिर की शिल्पकला को देख अभिभूत हुए। कुम्भलगढ़ दुर्ग भ्रमण के लिए शेरपा कड़ी सुरक्षा के बीच उदयपुर से कुम्भलगढ़ दुर्ग पहुंचे। यहां दुर्ग में प्रवेश करने पर पुष्प वर्षा और तिलक लगाकर राजस्थानी परंपरा से उनका स्वागत किया गया। इसके बाद सहरिया नृत्य और बाड़मेर की गैर डांस से शेरपा सदस्यों का स्वागत किया गया। इस दौरान विदेशी मेहमान भी खुद को थिरकने से रोक नहीं सके। किले के बारे में गाइड ने शेरपा को विस्तार से जानकारी दी।
इस दौरान शेरपा शिव मंदिर पहुंचे और ऐतिहासिक शिव मंदिर में दर्शन किए और इसके इतिहास के बारे में जाना। इसके बाद कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के साथ शेरपाओं का दल कुम्भलगढ़ दुर्ग के मुख्य स्थल हवा महल पहुंचा। विदेशी शेरपाओं ने कुम्भलगढ़ दुर्ग पर स्थित महाराणा प्रताप के जन्म कक्ष का अवलोकन किया। इसके बाद शेरपा ने बादल महल की छत पर जाकर मेवाड़ और मारवाड़ के प्राकृतिक सौंदर्य को निहारा। इस दौरान केलवाड़ा से लेकर कुम्भलगढ़ दुर्ग और सायरा तक सभी मार्गों से आम लोगों की आवाजाही पूर्णतया बंद रही और जगह-जगह पर भारी पुलिस जाप्ता तैनात रहा। कुम्भलगढ़ दुर्ग में राजस्थानी कलाकारों की ओर से दी गई प्रस्तुति को देखकर विभिन्न देशों से आए मेहमान भी खुद को रोक नहीं पाए और नृत्य करने लगे। इसके बाद सभी शेरपा रणकपुर के लिए रवाना हो गए।
शेरपा रणकपुर के पास होटल फतेहबाग पहुंचे। यहां शेरपाओं ने लजीज व्यंजनों का स्वाद लिया। इसके बाद काफिला रणकपुर पहुंचा, जहां सेठ आनंदी कल्याणजी ट्रस्ट के ट्रस्टी ने गुलाब के फूल से शेरपाओं का सादगी के साथ स्वागत किया। इसके बाद शेरपाओं ने मंदिर में प्रवेश किया। मंदिर के पिल्लरों और सभामण्डप के भीतर पत्थर में उकेरी शिल्प कला को देख वो अभिभूत हो उठे।