नव दुर्गा अमृत कथा में चन्द्रघंटा के रूप की महिमा का वर्णन किया
कथा करते कथा वाचक राकेश उपाध्याय।
कथा का श्रवण करते श्रद्धालुगण।
गन्नौर। नगरपालिका रोड पुष्प वर्ल्ड स्कूल के निकट चल रही 9 दिवसीय नवदुर्गा अमृत कथा के दूसरे दिन कथा वाचक राकेश उपाध्याय ने मां दुर्गा के चन्द्रघंटा रूप की महिमा का वर्णन किया। राकेश उपाध्याय ने बताया कि नवदुर्गा के नौ स्वरूपों में तीसरे मां चंद्रघंटा देवी की पूजा होती है। यह शक्ति माता का शिवदूती स्वरूप है। चंद्रघंटा देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है। जिससे इनका मुख चंद्र के सामान प्रकाशमान होता रहता है। माता चंद्रघंटा ने असुरों के साथ युद्ध में घंटे की टंकार से ही उनका नाश कर दिया था। सिंह पर सवार मां दुर्गा अपने इस तीसरे स्वरूप में दस हाथों से शोभायमान होती हैं। इनके हाथ खड्ग, बाण, अस्त्र-शस्त्र से विभूषषित हैं। उन्होंने कहा कि नवरात्र में माता रानी भक्तों द्वारा की जाने वाली पूजा प्रत्यक्ष रूप से स्वीकार करती हैं। मां की आराधना से भक्तों को विशेष कृपा मिलती है। तीसरे दिन चंद्रघंटा देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। देवी मां के इस स्वरूप के दर्शन मात्र से ही भक्तों को वीरता और निर्भयता का अहसास होने लगता है। इसके साथ ही मां जीवन में कष्टों से मुक्ति दिलाती हैं। जीवन में खुशियों का आगमन होता है। कथा की व्यवस्था में प्रवीण सिंघल, राजेश चौहान, राजीव राय, प्रवेश मदान, अनिल गर्ग, संजय गौतम, संदीप सोनी, गौरव शास्त्री सहित अन्य सहयोग कर रहे हैं।