राष्ट्रीय

आईटी एक्ट की धारा 66ए के इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता, कहा- केंद्र सरकार जरूरी कदम उठाये

नई दिल्ली, 06 सितंबर। सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट पोस्ट के लिए गिरफ्तारी वाली इंफॉर्मेशन एक्ट की धारा 66ए के अब तक इस्तेमाल पर चिंता जाहिर की है। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार के वकील से कहा कि वो तमाम राज्यों के मुख्य सचिवों से बात कर ज़रूरी कदम उठाएं।

सुप्रीम कोर्ट ने 2 अगस्त, 2021 को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने राज्यों के हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को भी नोटिस जारी किया था। पीयूसीएल की दायर याचिका पर केंद्र सरकार ने अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि श्रेया सिंघल के फैसले को लागू करने की मुख्य जिम्मेदारी राज्य सरकारों और उनकी पुलिस की है।

पुलिस राज्य का विषय है, इसलिए इसमें केंद्र कुछ नहीं कर सकता है। तब याचिकाकर्ता ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए केंद्र सरकार ने उचित कदम नहीं उठाया। याचिका में कहा गया है कि मार्च 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने आईटी एक्ट की धारा 66ए को समाप्त कर दिया। इस आदेश के बाद भी 22 से अधिक लोगों के खिलाफ मुकदमे दायर किए गए हैं।

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