दिल्ली

मुंडका अग्निकांड: संजय गांधी अस्पताल में तीन और शवों को परिजनों को सौंपा गया

-मुआवजा नहीं सीबीबाई जांच और एक सदस्य को नौकरी ही मिल जाए-परिजन

नई दिल्ली, 08 जून । मुंडका अग्निकांड में पुलिस ने डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट मिलने के बाद बुधवार सुबह संजय गांधी अस्पताल में तीन शवों को उनके परिजनों को सौंप दिया गया। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आने वाले कुछ ही दिन में बाकी परिजनों के शवों को भी सौंपने कोशिश की जाएगी। लेकिन अभी भी पुलिस के रिकॉर्ड और लापता कर्मचारियों के रिकॉर्ड में काफी अंतर है। जिनके अपने नहीं मिले हैं। उनका कहना है कि पुलिस ने उनके डीएनए टेस्ट जरूर लिये हैं, लेकिन उनको नहीं लगता है कि उनके अपनों के बारे में अब पता चल पाएगा। क्योंकि हादसे को काफी दिन हो गए हैं।

बस अब वो पुलिस और मीडिया के समक्ष अपनों की फोटो लेकर ही पहुंच रहे हैं। उनको अब उम्मीद की किरण कम ही नजर आ रही है। बुधवार सुबह संजय गांधी अस्पताल में मधु, नरेन्द्र और मुस्कान के शवों को उनके परिजनों को सौंप दिया। जबकि कुछ और परिजन अस्पताल फोटो लेकर पहुंचे थे। जिनको हर बार की तरह से इस बार भी निराशा ही हाथ लगी।

जला हुआ धड़ ही मिला अपनों का

अगर नगर प्रेम नगर इलाके में रहने वाला प्रमोद सुबह अपने भाई नरेन्द्र का शव लेने परिवार वालों के साथ अस्पताल आया हुआ था। प्रमोद ने बताया कि उसको उसके भाई का धड़ ही मिला है। जिसका हाथ पैर और सिर नहीं था। शव पूरी तरह से जला हुआ था। धड़ सिर्फ डीएनए टेस्ट पर दिया गया है। जिसको डॉक्टरों ने उनका भाई नरेन्द्र बताया था। अब हम शव का अन्तिम संस्कार कर देगें। हमको यह जरूर तसल्ली जरूर होगी कि हमने अपने भाई का अन्तिम संस्कार कर दिया है। लेकिन पुलिस को उन परिजनों के बारे में भी सोचना चाहिए और सहायता करनी चाहिए। जिनके अपने आज तक नहीं मिले हैं।

27 दिन बाद भी डीएनए रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं परिजन

दूसरी ओर अभी भी कई ऐसे परिजन हैं जो अपनों की तलाश में अस्पताल में चक्कर काट रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं अरुण कुमार जो बुधवार को मंगोलपुरी स्थित संजय गांधी अस्पताल में अपनों की तलाश में पहुंचे। अरुण की तीन बहने थी जो इस फैक्ट्री में काम करती थी, और हादसे वाले दिन तीनों बहने मधु, पूनम और प्रीति भी काम पर थी, और हादसे का शिकार हो गई। ये तीनों बहने इस फैक्ट्री में करीब डेढ़ साल से काम कर रही थी। अरुण ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि हादसे के 27 दिन बीत जाने के बाद भी अभी तक रिपोर्ट नहीं मिल पाई है।

उन्होंने कहा कि शुरुआत में कहा गया था कि डीएनए की रिपोर्ट 7 से 10 दिन में मिल जाएगी, लेकिन अब एक महीने का समय होने वाला है बावजूद इसके वो आज भी रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। साथ ही अरुण ने सरकार से मांग की है कि उन्हें मुआवजा राशि नहीं चाहिए, बल्कि परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जाए और साथ ही इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की भी उन्होंने मांग की। ऐसे में अब यह देखना होगा कि बाकी शवों की डीएनए रिपोर्ट कब तक आती है जिससे उनके परिजन उनके शवों का अंतिम संस्कार कर सके।

मुआवजा नहीं सीबीआई से जांच और बस एक नौकरी दे दो-परिजन

संजय गांधी अस्पताल में जिनके अपनों के शवों की पहचान हुई। उनको शायद थोड़ी तसल्ली हो गई है। लेकिन जिनका नहीं मिला। उनका क्या। परिजनों का कहना है कि उनको जो सरकारों ने दस दस लाख रुपये मुआवजे के तौर पर देने का वादा किया था। उसका अभी तक अतापता नहीं है। हादसे के बाद किसी भी अधिकारी ने उनसे आकर बातचीत तक नहीं की है। हमको कोई मुआवजा नहीं चाहिए।

बस हम चाहते हैं कि मामले की निष्पक्ष सीबीआई जांच करें और दोषियों को सख्त से सख्त सजा दे। इसके साथ ही परिवारों का पेट भर जाए इसके लिये बस एक सदस्य को नौकरी जरूर दे दें। जिससे घर की रोजी रोटी शुरू हो जाए। क्योंकि कई ऐसे कर्मचारी थे। जो परिवार का पेट भर रहे थे। उनके जाने के बाद नहीं पता कि उनका पेट कैसे भर रहा होगा।

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