राष्ट्रीय

उज्जैन : प्रधानमंत्री ने किया ‘महाकाल लोक’ का लोकार्पण

उज्जैन, 11 अक्टूबर। मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी उज्जैन की धरा पर ऐतिहासिक पलों के साक्षी बनते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘महाकाल लोक’ का लोकार्पण किया। महाकाल मंदिर के पास 46 एकड़ में फैले परिसर में 836 करोड़ रुपये की लागत से इसे भव्य रूप दिया गया है। पूरे उज्जैन शहर में उत्सव सा माहौल है। घरों पर दीपक जलाए गए या रोशनी की गई है।

मंगलवार शाम को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महाकाल मंदिर के समीप स्कंद पुराण के अवंतिखण्ड में उल्लेखित सप्त सागरों में से एक रुद्र सागर के तट पर बने ‘महाकाल लोक’ को राष्ट्र के नाम लोकार्पित किया। पूरा ‘महाकाल लोक’ रंगीन विद्युत छटा से जगमगा रहा है।

स्मार्ट सिटी के तहत महाकाल महाराज विस्तारीकरण योजना के तहत बनाए गए ‘महाकाल लोक’ की लागत 856 करोड़ रुपये है। 46 एकड़ में फैले इस परिसर के प्रथम चरण के कार्यों का लोकार्पण प्रधानमंत्री मोदी ने किया। ‘महाकाल लोक’ में देश का सबसे बड़ा 900 मीटर लम्बा गलियारा बनाया गया है। इसके दो राजसी प्रवेश द्वार है, जो प्राचीनता का अनुभव भी करवाते हैं। पहला नंदी द्वार और दूसरा पिनाक द्वार है। ‘महाकाल लोक’ में देश की सबसे लम्बी म्युरल दीवार राजस्थान के पहाड़पुर क्षेत्र के बलुआ पत्थरों से निर्मित की गई है। परिसर में एक बार में 450 कारों की पार्किंग की व्यवस्था की गई है। रूद्र सागर में लाइट एण्ड साउण्ड शो, लेजर शो और वाटर कर्टन शो भी दिखाये जायेंगे।

बलुआ पत्थरों से निर्मित दीवार पर शिव लीला

‘महाकाल लोक’ में राजस्थान में पहाड़पुर क्षेत्र से आए बलुआ पत्थरों को तराशकर राजस्थान, गुजरात और उड़ीसा के शिल्पकारों ने सौंदर्य स्तंभों और पैनल में तब्दील किया है। ‘महाकाल लोक’ के दाहिनी तरफ कमल ताल, शिव स्तंभ, सप्तऋषि परिसर, पब्लिक प्लाजा और नवग्रह परिसर बनाये गये हैं। यहां पर बैठने की व्यवस्था भी की गई है। पास ही में कमल ताल है, जहां 25 फीट ऊंची शिव की प्रतिमा लगाई गई है।

‘महाकाल लोक’ में कोबल्ड स्टोन की रोड क्रॉसिंग के जरिये पदयात्रियों की कनेक्टिविटी विकसित की गई है। पैदल चलते हुए शिव, देवी और श्रीकृष्ण से जुड़ी प्रतिमाएं नजर आती हैं। चित्रों के नीचे सम्बन्धित कथाएं भी अंकित की गई हैं। क्यूआर कोर्ड भी बनाये गये हैं, जिन्हें मोबाइल से स्केन कर कथा सुनी जा सकती है। इनमें शिव बारात का आकर्षक चित्रण किया गया है। एक शिल्प में कैलाश पर्वत को रावण ने उठा रखा है। कैलाश पर शिव परिवार भी विराजित है। एक शिल्प में देवी की नृत्य मुद्रा बनाई गई है। सप्तऋषि परिसर में ऋषियों की विशाल प्रतिमाओं के दर्शन के साथ उनके बारे में आवश्यक जानकारी दी गई है। त्रिपुरासुर वध का भी चित्रण शिल्प के रूप में किया गया है। यहां रथ पर सवार भगवान शिव त्रिपुरासुर का वध कर रहे हैं।

देश की सबसे लम्बी म्युरल दीवार

‘महाकाल लोक’ में देश की सबसे लम्बी भित्तिचित्र वाली दीवार है। इस दीवार पर पत्थरों पर शिव कथाएं उकेरी गई हैं। ”महाकाल लोक’ दो हिस्सों में बना है। एक तरफ पैदल पथ और दूसरी तरफ ई-कार्ट पथ। दोनों पथ के बीच 108 शिवस्तंभ शिव की विभिन्न मुद्राओं सहित निर्मित हैं, जो अलग ही छटा बिखेर रहे हैं। यह स्तंभ साधारण नहीं है, हर स्तंभ पर शिव की नृत्य मुद्रा अंकित है। इन्हीं पर सीसीटीवी कैमरे भी लगाये गये हैं।

‘महाकाल लोक’ में शॉपिंग कॉम्पलेक्स भी बनाया गया है, जहां फूल-प्रसाद से लेकर धर्म और संस्कृति से जुड़ी विभिन्न वस्तुओं की दुकानें होंगी। कॉम्पलेक्स के समीप फेसिलिटी सेन्टर क्रमांक-2 स्थित है, जहां जूते- चप्पल और बैग जमा करने की व्यवस्था की गई है। समीप ही शौचालय और नाश्ते तथा शुद्ध पेयजल की व्यवस्था भी की गई है।

‘महाकाल लोक’ में देश का पहला नाइट गार्डन बनाया गया है, जहां दिन में भी रात्रि का एहसास होता है। गोलाकार नाइट गार्डन के बीच शिव की विशाल ध्यानमग्न प्रतिमा लगाई गई है। इसके ठीक सामने के हिस्से में नीलकंठ परिसर है। लगभग 20 एकड़ में फैले महाकाल लोक में आकर्षक विद्युत सज्जा की गई है। रात्रि के समय जब मूर्तियों और म्युरल्स पर रोशनी पड़ती है तो पूरा लोक स्वर्णिम आभा से चमकने लगता है। महाकवि कालिदास के अभिज्ञान शाकुन्तम में वर्णित बागवानी प्रजातियों के पौधों को ‘महाकाल लोक’ में लगाया गया है। इनमें रूद्राक्ष, बकुल, कदंब, बेलपत्र, सप्तपर्णी आदि शामिल हैं।

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