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मप्र में स्व-सहायता समूहों से महिलाओं को आत्म-निर्भर बनाने का हुआ अभूतपूर्व कार्य : राष्ट्रपति

– स्व-सहायता समूह सम्मेलन में शामिल हुईं द्रौपदी मुर्मू, कहा- मैं आज यहां आकर अभिभूत और आश्चर्यचकित हूं

भोपाल, 16 नवंबर । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि मध्य प्रदेश में स्व-सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं को आत्म-निर्भर बनाने में अभूतपूर्व कार्य हुआ है। यहां लगभग 42 लाख महिलाएं स्व-सहायता समूहों से जुड़कर आर्थिक एवं सामाजिक रूप से सशक्त हुई हैं। इन महिलाओं को सरकार के माध्यम से कृषि एवं गैर कृषि कार्यों के लिए 4 हजार 157 करोड़ रुपये का बैंक ऋण दिलवाया गया है। प्रदेश में ‘एक जिला-एक उत्पाद’ योजना द्वारा इनके उत्पादों को बड़े बाजारों तक पहुंचाया गया है। आजीविका मार्ट पोर्टल से 535 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के उत्पादों की ब्रिकी हुई है। प्रदेश में लगभग 17 हजार महिलाएं पंचायत प्रतिनिधि बनी हैं।

राष्ट्रपति बुधवार को भोपाल प्रवास के दौरान यहां स्व-सहायता समूह के सम्मेलन को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि यहां कुछ महिलाओं द्वारा अपनी सफलता के अनुभव सुनाए गये हैं, जो प्रेरणादायक हैं। मध्य प्रदेश में स्व-सहायता समूह ने जन-आंदोलन का रूप ले लिया है। सभी महिलाओं के प्रयास और सरकार के सहयोग से यह संभव हो पाया है। इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मध्य प्रदेश सरकार सहित महिलाएं सभी बधाई के पात्र हैं। मैं आज यहां आकर अभिभूत और आश्चर्यचकित हूं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में वर्ष 2023 को मोटा अनाज वर्ष मनाने की घोषणा की है।

आत्म-निर्भर और विकसित भारत के लिए महिला शक्ति की अधिक से अधिक भागीदारी जरूरी

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि आत्म-निर्भर और विकसित भारत को बनाने में महिला शक्ति की अधिक से अधिक भागीदारी जरूरी है। हमें ऐसा वातावरण तैयार करना है, जिससे सभी वर्ग की बेटियां निर्भीक एवं स्वतंत्र महसूस करें और अपनी प्रतिभा का भरपूर उपयोग कर सकें। महिलाओं के नेतृत्व में जहां-जहां कार्य किये जाते हैं, वहां सफलता के साथ संवेदनशीलता भी देखने को मिलती है। सभी महिलाएं एक दूसरे को प्रेरित करें। एकजुट होकर विकास के रास्ते पर आगे बढ़ें।

देश के विकास में मध्य प्रदेश की महिलाओं का अमूल्य योगदान

उन्होंने कहा कि देश के विकास में मध्य प्रदेश की महिलाओं का अमूल्य योगदान रहा है। वीरांगना दुर्गाबाई, अहिल्याबाई, अवंतीबाई और कमलाबाई की गौरव गाथा हमारी विरासत है। वर्तमान समय में सुमित्रा महाजन, जनजातीय चित्रकार भूरी बाई, दुर्गाबाई व्याम और रतलाम की मदर टेरेसा कहीं जाने वाली डॉ. लीला जोशी महत्वपूर्ण नाम है। मुझे इन्हें पद्मश्री सम्मान देने का अवसर मिला।

माता का स्थान पिता और आचार्य से पहले

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में महिलाओं की श्रेष्ठता को प्राचीन काल से माना जाता रहा है। हमारे यहां माता का स्थान पिता और आचार्य से पहले रखा गया है – मातृ देवो भव, पितृ देवो भव, आचार्य देवो भव। ईश्वर से पहले हम माता को देखते हैं। शिक्षा प्राप्त करने के लिए पहले मां सरस्वती को नमन करते हैं। माता दुर्गा, माता लक्ष्मी और माता काली, सभी श्रेष्ठता की प्रतीक है।

उन्होंने कहा कि आज आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, वैज्ञानिक, अनुसंधान, कला, संस्कृति, साहित्य, खेल-कूद, सैन्य बल आदि हर क्षेत्र में महिलाएं प्रमुख भूमिका निभा रही हैं। कम से कम संसाधनों का अधिक से अधिक उपयोग करना महिलाओं को आता है। जब एक महिला शिक्षित होती है तो पूरा परिवार, पूरा समाज शिक्षित होता है। महिलाओं का विकास ही देश का विकास है। महिलाओं के विकास से ही भारत निकट भविष्य में विकसित देश के रूप में उभरेगा और पुन: विश्व गुरु का स्थान प्राप्त करेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी कहा करते थे कि देश मात्र एक मिट्टी का टुकड़ा नहीं बल्कि राष्ट्र पुरुष है। उसकी दो संतानें हैं, एक बेटा और एक बेटी। यदि एक दुर्बल रह जाएं तो देश सशक्त नहीं हो सकता। देश की तरक्की के लिए दोनों का शिक्षित और आर्थिक रूप से आत्म-निर्भर होना आवश्यक है। दोनों का सम्मान भी जरूरी है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री चौहान ने आप लोगों को मेरे जीवन की एक झलक बताई है। मेरे जीवन का यह अनुभव रहा है कि यदि मेहनत, लगन, सच्चाई और सफाई के साथ कार्य किया जाए तो आप निश्चित रूप से आगे बढ़ेंगे और सफल होंगे। मैंने अपने जीवन में यह अपनाया है। मैंने वार्ड मेम्बर के रूप में अपना कार्य शुरू किया तब यह नहीं सोचा था कि मैं राष्ट्रपति बनूंगी। मैने हमेशा अपने कार्य को महत्व दिया। कभी पद के बारे में नहीं सोचा।

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