राष्ट्रीय

उत्तराखंड : शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद पुनः शुरू करेंगे 235 वर्ष पुरानी परंपरा

हरिद्वार,16 नवंबर। ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती एक दिन के हरिद्वार प्रवास के बाद आज ज्योतिष पीठ के लिए रवाना हो गए हैं, वहां वे 235 वर्ष पूर्व बंद हुई परंपरा को पुनर्जीवित करने का कार्य करेंगे।

शंकराचार्य बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने पर भगवान के विग्रह के साथ जोशीमठ तक आएंगे। यह परंपरा 1776 ईसवी में बंद हो गयी थी। इसको शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद फिर से शुरू करेंगे।

बुधवार को बद्रीनाथ धाम के लिए रवाना होने से पहले शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने पत्रकारों से वार्ता में बताया कि बद्रीनाथ धाम के कपाट खोलने का अवसर आता था तो भगवान के चल विग्रह को लेकर शंकराचार्य जाते थे और शीतकाल में कपाट बंद होने पर चल विग्रह को लेकर ब्राह्मी गांव, पांडुकेश्वर होते हुए ज्योतिष पीठ में आ जाते थे। 1776 ईसवी में रामकृष्ण तीर्थ के बाद यह परंपरा टूट गई, तब से बद्रीनाथ धाम के रावल इस परंपरा को शंकराचार्य की ओर से निभाते रहे हैं।

अब 235 वर्षों के बाद हमारे मन में यह बात आई कि इस परंपरा को हमें पुनर्जीवित करना चाहिए। भगवान के कपाट बंद होने के बाद उनके विग्रह के साथ और भगवान शंकराचार्य की पालकी के साथ पीछे-पीछे हमको भी चल कर आना चाहिए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker