हरियाणा में जलापूर्ति से होगा जल संरक्षण
मुख्यमंत्री ने की ‘सुजल’ पहल की शुरूआत
पंचकूला में शुरू होगा पायलट प्रोजेक्ट
चंडीगढ़, 13 जून । हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज यहां संत कबीर कुटीर से प्रदेश के लिए ‘सुजल’ पहल का शुभारंभ किया। वाटर सप्लाई मैनेजमेंट की दिशा में आरंभ की गई राज्य की यह अनूठी पहल जल संरक्षण के क्षेत्र में बैंचमार्क साबित होगी।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पायलट योजना के तौर पर पंचकूला के लिए इसकी शुरूआत करते हुए कहा कि ‘सुजल’ पहल एक अनोखी पहल है जो पर्यावरण के अनुकूल है और इसके कारण हम पानी की स्ट्रक्चर्ड सप्लाई के साथ-साथ संसाधनों की बचत और वित्तीय बचत भी कर सकेंगे। उन्होंने इस पहल के लिए पंचकूला के लोगों को बधाई देते हुए कहा कि ऐसी पहल के कारण ही हम पर्यावरण का बचाव कर सकते हैं और आने वाली पीढिय़ों के लिए सभी संसाधनों को बचा कर रख सकते हैं। पंचकूला में सफल होने के बाद इस पहल को पूरे राज्य में लागू किया जाएगा।
हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ‘सुजल’ योजना आरंभ करने जा रहा है। यह प्रदेश का ऐसा पहला इनिशिएटिव है, जो वाटर सप्लाई मैनेजमेंट द्वारा जल संरक्षण करेगा। उन्होंने कहा कि आधुनिक युग में टेक्नोलॉजी का प्रयोग हर क्षेत्र में हो रहा है।
मुख्यमंत्री को हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के मुख्य प्रशासक अजीत बालाजी जोशी ने अवगत करवाया कि इस पहल से अवैध कनेक्शनों को ट्रैक करके उन्हें बंद करना आसान हो गया है और प्राधिकरण इसकी मदद से नागरिकों से जुर्माने की राशि भी ले सकेगा। इसके अलावा, टर्शियरी जल का उपयोग पार्कों व ग्रीन बेल्ट्स में 14 एमएलडी से बढक़र 30 एमएलडी तक एक ही वर्ष में हो जाएगा। इस उपकरण की मदद से 70 प्रतिशत श्रम बचत होगी जिसकी वजह से एक साल में लगभग 4.7 करोड़ रुपयों की बचत की जाएगी।
फिलहाल पंचकूला में अलग-अलग स्रोतों से प्रति दिन 162.5 मिलियन लीटर पानी का इस्तेमाल होता है। इस उपकरण के इस्तेमाल से यह आंकड़ा एक वर्ष में ही घट कर 105 मिलियन लीटर प्रतिदिन रह जाएगा।