सूक्ष्म जीव विज्ञानी लुई पाश्चर की याद में मनता है विश्व रेबीज दिवस
वाराणसी, 27 सितम्बर। पहला रेबीज टीका विकसित करने वाले फ्रांस के प्रसिद्ध रसायन विद और सूक्ष्म जीव विज्ञानी लुई पाश्चर की पुण्यतिथि पर 28 सितम्बर को विश्व रेबीज दिवस मनाया जाता है। रेबीज की रोकथाम और इसके प्रति समुदाय में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से यह दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष दिवस की थीम ‘रेबीज वन हेल्थ-जीरो डेथ’ निर्धारित की गयी है।
जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने मंगलवार को बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रम कार्यक्रम के अंतर्गत हर साल यह दिवस अलग-अलग थीम पर मनाया जाता है। जिससे सामुदायिक स्तर पर जानकारी जैसे घावों का उपचार, कुत्ते के काटने के मामले में घाव, पोस्ट एक्सपोजर टीकाकरण देखभाल, स्कूली बच्चों के लिए कुत्ते के काटने से बचाव की शिक्षा आदि है।
नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ एसएस कनौजिया ने बताया कि शासन के निर्देश के क्रम में इस दिवस पर ग्रामीण व नगरीय क्षेत्र के सभी पीएचसी, सीएचसी व जिला व मंडलीय चिकित्सालय पर रेबीज के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करने के लिए प्रचार-प्रसार गतिविधियों और गोष्ठियों का आयोजन किया जाएगा।
डॉ कनौजिया ने बताया कि रेबीज़, एक विषाणु जनित व जानलेवा बीमारी है। जिसका बचाव पूर्णता संभव है। यह कुत्ते, बिल्ली, बंदर आदि जानवरों के काटने या खरोंचने के कारण होता है। लक्षण आने से पूर्व एंटी रेबीज वैक्सीन के साथ इसको पूरी तरह से रोका जा सकता है।
कुत्ता काटे ताे घाव को 15 मिनट तक साबुन व बहते साफ पानी से धोए
कुत्ता, बंदर या बिल्ली के काट लेने पर घबराने के बजाय घाव को 15 मिनट तक साबुन व बहते साफ पानी से धोए। इसके बाद स्प्रिट, एल्कोहल या घरेलू एंटीसेप्टिक का इस्तेमाल कर चिकित्सक से सम्पर्क करें। एसीएमओ डॉ एसएस कन्नौजिया ने बताया कि रेबीज से पीड़ित जानवर के काटने के बाद इसके लक्षण एक से तीन महीने में दिखाई देते हैं। कुत्ते, बिल्ली आदि सभी को प्रिय होते हैं लेकिन प्रायः कुत्ते के काटने और इस रोग के बारे में जागरूकता के बिना उनके साथ खेलते हैं। बच्चे डांट के डर से बचने के लिए माता.पिता से कुत्ते के काटने के घावों को छुपाते हैं। जानकारी के अभाव में काटने व खरोंच वाले घाव को इसको अनदेखा कर देते हैं या मिर्च, तेल जैसे घरेलू उत्पादों को लगाकर घाव का उपचार करते हैं जो गलत है। इसके लिए तुरंत नजदीकी चिकित्सालय जाकर डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए और उनकी सलाह अनुसार एंटी रेबीज़ टीकाकरण का कोर्स पूरा करना चाहिए। उन्होंने बताया कि जनपद के सभी ब्लॉक स्तरीय स्वास्थ्य केन्द्रों सहित जिला व मंडलीय चिकित्सालय में एंटी रेबीज टीकाकरण की निःशुल्क सुविधा मौजूद है। उन्होंने कहा कि कुत्ते या बंदर के काटने पर हाथ से घाव न छुए, घाव पर मिट्टी, मिर्च, तेल, जड़ी बूटियां चाक पान की पत्तियों जैसे उत्तेजक पदार्थ न लगाये।