विश्व मृदा दिवस : मिट्टी को स्वस्थ बनाए रखने के लिए हरी खाद का प्रयोग करें किसान
कानपुर, 05 दिसम्बर। मृदा निर्माण एक जटिल प्रक्रिया है। इसमें एक इंच मिट्टी की परत के निर्माण में 500 से 2000 वर्ष लग जाते हैं। इसलिए हमारी जिम्मेदारी है कि हम मिट्टी को स्वस्थ बनाए रखें। इसके लिए जरूरी है कि किसान रासायनिक उर्वरकों की जगह हरी खाद का अधिक प्रयोग करें। यह बातें सोमवार को विश्व मृदा दिवस पर मृदा वैज्ञानिक डॉ. खलील खान ने कही।
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के अधीन संचालित दिलीप नगर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र पर विश्व मृदा दिवस मनाया गया। केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डॉ. खलील खान ने किसानों को संबोधित करते हुए बताया कि इस दिवस को मनाने का उद्देश्य किसानों के साथ-साथ आम जनमानस को मिट्टी की महत्ता के बारे में जागरूक करना है।
इस वर्ष का अभियान है मिट्टी की लवणता को रोकें, मिट्टी की उत्पादकता को बढ़ावा दें। आधुनिक समय में रासायनिक खादों और कीटनाशकों के लिए दवाओं के इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरा शक्ति समाप्त होती जा रही है। इसलिए मृदा संरक्षण पर विशेष बल दिया जाए। उन्होंने इस अवसर पर किसानों को एक नारा भी दिया कि स्वस्थ धरा, तो खेत हरा।
डॉ. खलील खान ने बताया कि किसान भाई अपने खेतों का मृदा परीक्षण अवश्य कराएं। इससे मृदा में उपस्थित पोषक तत्वों की सही जानकारी मिल जाती है। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि मिट्टी परीक्षण द्वारा फसल के लिए उर्वरकों की उचित मात्रा की सिफारिश की जाती है। खादों के प्रयोग का समय तथा तरीके के बारे में पूर्ण जानकारी मिलती है। मिट्टी परीक्षण द्वारा छारीय और लवणीय भूमि की समस्या और उनके सुधारने के बारे में भी जानकारी प्राप्त हो जाती है। उन्होंने किसान भाइयों से अपील की कि वे अपनी मिट्टी को स्वस्थ बनाए रखने के लिए केंचुए की खाद एवं नाडेप कंपोस्ट तथा हरी खाद का प्रयोग अवश्य करें। ताकि मृदा में जीवांश कार्बन की बढ़ोत्तरी हो।