यथार्थ को ही अभिव्यक्ति करता है लेखनः हृषीकेश सुलभ
लखनऊ, 13 नवम्बर साल -2022 का आनंद सागर स्मृति कथाक्रम सम्मान चर्चित कथाकार, नाटककार एवं रंग समीक्षक हृषीकेश सुलभ को रविवार को आयोजित कथाक्रम साहित्य समारोह में दिया गया। वरिष्ठ कथाकार संजीव, राजेेद्र राव, योगेंद्र आहूजा व संयोजक शैलेन्द्र सागर ने नकद धनराशि, सम्मान चिन्ह व पत्रक प्रदान कर उन्हें सम्मानित किया। इस अवसर पर साहित्य जगत के लखनऊ और दिल्ली से आए साहित्य जगत के वरिष्ठ साहित्यकार, कहानीकार व उपान्यासकार मौजूद थे।
इस अवसर पर सम्मानित हृषीकेश सुलभ ने कहा कि जैसे-जैसेे समाज पर जिन चीजों के जो दबाव पड़ते है , वही लेखन में अभिव्यक्ति होता हैं। लेखन कोई बाहरी नहीं होता है, सिर्फ कल्पना नहीं है। लेखन यथार्थ को ही अभिव्यक्ति करता है। हां कल्पना के स्पर्श से उसे विकसित कर सकते हैं, उसे विस्तारित किया जा सकता हैं। लेखन व्यक्ति पर बहुत प्रभाव डालता है। साहित्य आपको संस्कारित करता है।
कथाकार संजीव ने कहा कि हृषीकेश सुलभ को सम्मानित करने का मौका मिला है, यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है। उनकी भाषा में फूल झड़ते हैं। इस मौके पर उन्होंने उन साहित्यकारों के प्रति अपना दुःख प्रकट किया जो अब नहीं है। उन्होंने बताया कि मैं बड़ा डिप्रेशन में जिया हूं । उनको श्रंद्धांजलि देना चाहता हूं,, लेकिन शायद उनको यह शब्द छोटा है। इसके अलावा उन्होंने छोटा राजकुमार और बडा राजकुमार की कहानी सुनाई।
कथाकार राजेंद्र राव ने कहा कि वास्तव में कथाक्रम की शुरूआत 90 के दशक में झांसी में हुई थी। जब शैलेंद्र सागर युवा थे। उन्होंने वहां तीन दिनी साहित्यिक उत्सव आयोजित किया था। उस उत्सव में बड़े दिग्गज साहित्यकार शामिल हुए थे। इसके अलाव योगेंद्र आहूजा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। आज यह अनवरत चल रहा है। सम्मान समारोह का संचालन साहित्यकार सरिता निर्झरा ने किया।
सम्मान समारोह के दूसरे सत्र में आजादीः ‘साहित्य के पचहत्तर वषर्‘ विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गई। इसमें आलोचक वीरेंद्र यादव, प्रज्ञा, कंवल भारती सहित अन्य साहित्यकारों ने विषयों पर अपने विचार रखे। संचालन राकेश ने किया।
सम्मानित कथाकार के बारे में
कहानी हृषीकेश सुलभ जन्म बिहार के छपरा, जो अब सीवान है, में हुआ था। सुलभ हिन्दी कथा साहित्य, रंगमंच का एक जान-माना नाम है। सुलभ की कहानियों में गांव और कस्बे के यथार्थ के साथ ही समकालीन समाज की विसंगतियों से मुठभेड़ दिखती है। उनकी कहानियां तूती की आवाज, वधस्थल से छलांग व वसंत के हत्यारे काफी चर्चित रही है। इसके अलावा भी हृषीकेश सुलभ ने अन्य कहानी संग्रह व उपन्यास लिखे हैं।
21000 रूपए है सम्मान की धनराशि
इस अवसर पर कथाक्रम सम्मान के संयोजक शैलेन्द्र सागर ने बताया कि सम्मान स्वरूप 21000 रूपए की धनराशि, सम्मान चिन्ह्, व पत्रक प्रदान गया। इससे पहले यह सम्मान संजीव, कमलाकांत, त्रिपाठी, चंद किशोर जायसवाल, मैत्रेय पुष्पा व अन्य साहित्यकारों को दिया जा चुका है।