हरियाणा

धधकती आग के बीच तपस्या कर रहे हैं योगी बाबा सतपाल नाथ


अग्नि के 5 धुनें जलाकर कठोर तप कर रहा है योगी बाबा
बाबा सतपाल नाथ की यह 16 वी अग्नि तपस्या 
14 जून पूर्णमासी वाले दिन 41 दिनों की तपस्या का होगा समापन 
ग्रामीणों के सहयोग से भंडारे का आयोजन किया जाएगा 
सोनीपत 16 मई । हरियाणा व भारत देश ऋषि-मुनियों और तपस्वी यों की धरती रहा है यहां कुछ ऐसे साधु संत भी हैं जो अब भी तपस्या करते हुए देखे जा सकते हैं सोनीपत जिले से राई विधान सभा क्षेत्र के गांव बाजिदपुर सबोली में एक नाथ साधु अपने चारों और अग्नि के 5 धुनें जलाकर कठोर तप कर रहा है, जब अग्नि चलती है तो उसका शरीर में भी जलन होती है।

गांव बाजिदपुर सबोली मैं इन दिनों योगी बाबा सतपाल नाथ पिछले कई दिनों से गर्मी के बीच अपने चारों ओर अग्नि के 5 बड़े धुनें जलाकर कठोर तप कर रहा है, खास बात यह है कि अग्नि के बीच बैठने से पहले वह अपने शरीर पर गुरु गोरक्षनाथ के धुनें की भभूत लगाते हैं और फिर उपलों से बने धुनों में अग्नि भी प्रज्वलित स्वयं करते हैं । योगी बाबा कर्मबीर नाथ के शिष्य बाबा सतपाल नाथ ने बताया कि वह अब 16 वी अग्नि तपस्या कर रहे हैं नाथ संप्रदाय के साधु इस तरह का तप भगवान शिव को ध्यान में रखते हुए करते हैं माना जाता है कि इस तरह से अग्नि तप आलौकिक बाबा भोलेनाथ करते थे। उन्होंने बताया कि आगामी 14 मई को पूर्णमासी वाले दिन 41 दिनों के तपस्या के समापन अवसर पर यहां ग्रामीणों के सहयोग से भंडारे का आयोजन किया जाएगा जिसमें देशभर से साधु संत यहां शामिल होंगे। 
इस मौके पर आसपास के क्षेत्रों से काफी लोग बाबा द्वारा की जा रही इस अग्नि तपस्या को देखने के लिए पहुंचते हैं इस दौरान ग्रामीण दलेल ने बताया कि उन्होंने इस तरह का तप करने वाला यह साधु देखा है जो अपने शरीर को अग्नि की तपन से जलाता है और उन्होंने बताया कि जब वह इन्हें कहते हैं कि शरीर जल जाएगा लेकिन साधु कहता है उन्हें कुछ नहीं होगा गुरु गोरक्षनाथ और भगवान शिव का आशीर्वाद उन पर बना हुआ है और अग्नि तपस्या करना तो उनका कर्म और कार्य है जिसे वह पीछे नहीं हट सकते, उन्होंने बताया कि यह बाबा सतपाल नाथ केवल 3 वर्ष की आयु में नाथ साधु बन गए थे और तब से लेकर अब तक वह समय-समय पर तब विभिन्न तरह के तप करते रहते हैं और अब यह यहां अग्नि तपस्या कर रहे हैं।
यहां खास बात यह भी है कि इस जगह पर जहां बाबा अग्नि तब कर रहे हैं उसके पास एक गौशाला भी मौजूद है जब बाबा अग्नि के धुनें जलाकर उनके बीच बैठते हैं तो कुछ गाय लगातार उन्हें देखती रहती हैं और जब साधु तप करके धुनों के बीच से बाहर निकलते हैं तो तब गाएं वापस चली जाती हैं।

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