पलवल: पशुपालक लम्पी बीमारी से घबराएं नहीं:जिला उपायुक्त
पलवल, 22 अगस्त। जिला उपायुक्त कृष्ण कुमार ने सोमवार को पशुपालकों से अपील करते हुए कहा है कि लम्पी स्किन डिजिस बीमारी की रोकथाम को लेकर जिला प्रशासन और पशुपालन एवं डेयरिंग विभाग पूरी तरह से सतर्क है। उन्होंने कहा है कि पशुपालक सावधानी बरतें और लम्पी बीमारी के लक्षण दिखाई देने पर पशुपालन विभाग के चिकित्सकों से संपर्क करें।
उपायुक्त ने बताया कि लम्पी स्किन बीमारी एक वायरल बीमारी है जो मक्खियों व मच्छरों के काटने से फैलती है। इसमें शुरू में दो-तीन दिन तक बुखार आता है। इसके बाद पशु के शरीर में गाँठे बन जाती है। यह गांठें गोल व उभरी हुई होती है। इस बीमारी से पशु कमजोर हो जाता है व दूध उत्पादन कम हो जाता है। कभी- कभी पशु का गर्भपात भी हो जाता है। उपायुक्त ने जिला के पशुपालकों को अपील करते हुए कहा है कि इस बीमारी में मृत्यु दर केवल 1-2 प्रतिशत है। अतः पशुपालक व गौशाला प्रबन्धक को घबराने की आवश्यकता नहीं है। यह बीमारी पशुओं से मनुष्यों में नहीं फैलती है। विभाग के अनुसार दूध को उबालकर उपयोग किया जा सकता है। किसी भी संभावित लक्ष्ण वाले पशु का इलाज नजदीकी राजकीय पशु चिकित्सालय के पशुचिकित्सक से करवाएं।
ये हैं इस बीमारी के लक्षण
1. इस बीमारी में पशु को तेज बुखार, मुंह से पानी गिरना, भूख नहीं लगना, दूध उत्पादन में गिरावट, पशु के शरीर पर गाँठे बनना जोकि फूट कर जख्म भी बन जाता है।
ये हैं बीमारी के फैलाव के कारण –
1. मक्खी-मच्छर व चीचड़ के माध्यम से, संक्रमित पशुओं की लार व दूषित चारा, पानी से फैलता है।
2. संक्रमित पशु के स्वस्थ पशु के संपर्क में आने से भी फैलती है।
ये पशुओं को इस बीमारी से बचाव के तरीके
1. गौशालाओं व पशुपालक संक्रमित पशु को स्वस्थ पशु से अलग रखें।
2. बीमार पशु का तुरंत पशु चिकित्सक से इलाज शुरू करवाएं।
3. पशुओं के बाड़े को साफ सुथरा रखें।
4. स्वस्थ पशुओं को फिटकरी या लाल दवा से दिन मे दो बार नहलाएं।
5. बीमार पशुओं को बाहर चरने न लेकर जाएं।
6. एक स्थान से दूसरे स्थान पर पशुओं को न लेकर जाएं।
7. गौशालाओं में फोगिंग करवाएं