‘डॉक्टर ऑन व्हील योजना’ के तहत निर्माण श्रमिकों की होगी स्वास्थ्य जांच
-बच्चों के लिए होगी मोबाइल क्रेच की सुविधा
नई दिल्ली, 01 अगस्त। केजरीवाल सरकार ने निर्माण श्रमिकों के लिए ऐतिहासिक फैसला किया है। उपमुख्यमंत्री एवं श्रम मंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि ‘डॉक्टर ऑन व्हील योजना’ के तहत कंस्ट्रक्शन साईट पर श्रमिकों की स्वास्थ्य जांच होगी। वहीं श्रमिकों के बच्चों के लिए आधुनिक सुविधाओं से लैस मोबाइल क्रेच की शुरुआत होगी। निर्माण साईट पर ही श्रमिकों के बच्चों को बेहतरीन डे-केयर मिलेगा। उन्होंने कहा कि कोरोना और प्रदूषण के दौरान थमे निर्माण कार्यों के बावजूद निर्माण श्रमिकों के साथ दिल्ली सरकार खड़ी थी।
600 करोड़ से अधिक की सहायता राशि देकर आर्थिक मदद की। निर्माण श्रमिकों के लिए दिल्ली सरकार 17 वेलफेयर स्कीम चला रही है। पिछले साल इन स्कीमों के तहत निर्माण श्रमिकों को 13 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी गई। दूसरी तरफ दिल्ली सरकार से मिलने वाली सुविधाओं की निर्माण श्रमिकों के पास आसान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए कंस्ट्रक्शन वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड अपनी वेबसाईट को अपग्रेड कर रहा है।
सिसोदिया की अध्यक्षता में सोमवार को दिल्ली कंस्ट्रक्शन वेलफेयर बोर्ड की 39वीं बोर्ड की बैठक की गई। बैठक में निर्माण श्रमिकों के लिए कई बेहतर स्कीम लाने पर चर्चा हुई।
दिल्ली सरकार निर्माण श्रमिकों के लिए शुरू करेगी ‘डॉक्टर ऑन व्हील योजना’
दिल्ली सरकार निर्माण श्रमिकों के लिए ‘डॉक्टर ऑन व्हील योजना’ की शुरुआत करने वाली है। इस योजना के तहत हर जिले में मेडिकल चेकअप कैंप के आयोजन के साथ-साथ हर जिले में मोबाइल वैन विभिन्न निर्माण स्थल पर जाकर निर्माण श्रमिकों का रूटीन चेक-अप करेंगे।
इसके साथ ही सरकार अपनी एक और महत्वपूर्ण योजना के तहत निर्माण साईट पर विभिन्न आधुनिक सुविधाओं से लैस मोबाइल क्रेच की शुरुआत करने वाली है। जहां निर्माण साईट पर ही श्रमिकों के बच्चों को बेहतरीन डे-केयर मिल सकेगा।
उल्लेखनीय है कि सरकार द्वारा निर्माण श्रमिकों के लिए फ्री यात्रा स्कीम की भी शुरुआत की गई है। जहां निर्माण श्रमिकों को डीटीसी बसों में फ्री यात्रा करने के लिए पास उपलब्ध करवाया जाता है।
वहीं, बैठक में अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में बोर्ड के पास लेबर कार्ड बनवाने के लिए 17 लाख से अधिक आवेदन आ चुके हैं। ऐसे में पात्र लोगों को ही इसका फायदा मिले ये सुनिश्चित करने के लिए श्रम मंत्री ने अधिकारियों को एक स्वतंत्र एजेंसी द्वारा सोशल ऑडिट करवाने का निर्देश दिया।
इसके लिए दो सदस्यीय कमिटी बनाई जाएगी जो ऑडिट के लिए बोर्ड को अपने प्रपोजल भेजेगी और उसके अनुसार ऑडिट करवाया जाएगा। उपमुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले 1.5 साल में दिल्ली सरकार द्वारा निर्माण श्रमिकों की बेहतरी के लिए उठाये गए कई कदम, निर्माण श्रमिकों को 611 करोड़ रूपये से ज्यादा की आर्थिक मदद दी गई।
जबकि कोरोना की दूसरी लहर में भी लॉकडाउन लगने के कारण जब निर्माण गतिविधियों पर रोक लगी। उस दौरान भी रजिस्टर्ड निर्माण श्रमिकों को 5-5 हजार रुपये की सहायता राशि देते हुए 3.17 लाख निर्माण श्रमिकों को 158 करोड़ रूपये की सहायता राशि दी गई। साथ ही सरकार द्वारा कोरोना पॉजिटिव होने वाले निर्माण श्रमिकों को भी आर्थिक मेडिकल असिस्टेंस के तहत 10 हजार रुपये की सहायता राशि दी गई।
पिछले वर्ष सर्दियों के दौरान प्रदूषण का स्तर बढ़ने के कारण भी कुछ समय के लिए निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी गई थी। इस दौरान 6.17 लाख निर्माण श्रमिकों के खाते में सरकार द्वारा 309 करोड़ रूपये की सहायता राशि प्रदान की गई।
निर्माण श्रमिकों के 16 हजार बच्चों को दी 12.35 करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप
दिल्ली सरकार अपनी इस योजना के तहत पहली से आठवीं तक के बच्चों को सालाना 6 हजार रुपये, नौवीं व दसवीं के बच्चों को सालाना 8400 रुपये व 11वीं एवं 12वीं के बच्चों को सालाना 12 हजार रुपये की स्कॉलरशिप देती है। अधिकारियों ने बताया कि इस स्कॉलरशिप के तहत छठी से आठवीं तक के 8062 बच्चों को 4.8 करोड़ रुपये, नौवी व दसवीं में पढ़ रहे बच्चों 4,888 बच्चों को 4.1 करोड़ रुपये व 11वीं एवं 12वीं के 2841 बच्चों को 3.4 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई।
सरकार द्वारा निर्माण श्रमिकों के वेलफेयर के लिए शुरू की गई 17 स्कीम
दिल्ली सरकार ने निर्माण श्रमिकों की बेहतरी के लिए 17 स्कीमों की शुरुआत की है। बोर्ड से रजिस्टर्ड निर्माण श्रमिकों को इन योजनाओं का लाभ मिलता है। इन योजनाओं के तहत निर्माण श्रमिकों को घर निर्माण के लिए तीन लाख से पांच लाख रुपये,मातृत्व लाभ में 30 हजार रुपये, टूल खरीदने के लिए 20 हजार रुपये का लोन एवं 5 हजार रुपये की सहायता राशि, श्रमिकों के प्राकृतिक मृत्यु पर एक लाख, दुर्घटना मृत्यु पर दो लाख की सहायता राशि, अपंग हो जाने पर एक लाख की सहायता राशि एवं 3 हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन, बच्चों की स्कूली शिक्षा व उच्च शिक्षा के लिए 500 से 10 हजार रुपये प्रतिमाह, श्रमिकों व उनके बच्चों के विवाह के लिए 35 हजार से 51 हजार रुपये की सहायता राशि, पेंशन के रूप में 3 हजार रुपये प्रतिमाह की सहायता राशि दी जाती है। अधिकारियों ने बताया कि पिछले साल विभिन्न योजनाओं के क्लेम के तहत 2440 निर्माण श्रमिकों को लगभग 13 करोड़ रुपये की सहायता राशि दी गई।