रिश्वत लेकर वोट देने वाले सांसदों व विधायकों पर मुकदमा चलाने पर सुप्रीम कोर्ट 15 नवंबर को करेगा विचार
नई दिल्ली, 28 सितंबर। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान बेंच रिश्वत लेकर संसद या विधानसभा में वोट देने वाले सांसदों और विधायकों पर आपराधिक मुकदमा चलाने या न चलाने पर 15 नवंबर को विचार करेगी। बुधवार को जस्टिस एस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह आदेश दिया है।
इस मामले पर सुनवाई करने वाली पांच सदस्यीय संविधान बेंच में जस्टिस एस अब्दुल नजीर के अलावा जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम और जस्टिस बीवी नागरत्ना शामिल हैं।
दरअसल, झारखंड मुक्ति मोर्चा की सदस्य सीता सोरेन पर आरोप था कि उन्होंने 2012 में राज्यसभा चुनाव के दौरान एक उम्मीदवार के पक्ष में वोट देने के लिए रिश्वत ली थी। उसके बाद सीबीआई ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल की थी। सीबीआई की जांच को सीता सोरेन ने झारखंड हाई कोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी थी कि उन्हें संविधान की धारा 194 (2) के प्रावधानों के तहत सुरक्षा मिली हुई है। इस प्रावधान के तहत किसी विधानसभा या संसद के किसी भी सदस्य के खिलाफ वोट देने के लिए कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती है। हाई कोर्ट ने उनकी इस याचिका खारिज कर दिया था। सीता की ओर से हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट में पीवी नरसिंह राव के मामले का हवाला दिया गया, जिसमें संसदीय वोटिंग के दौरान किसी विधानसभा या संसद के सदस्य के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है। उसके बाद कोर्ट ने इस मामले को संविधान बेंच को रेफर करने का आदेश दिया था।