बिहार

उग्रतारा स्थान में भव्य प्रवेश द्वार नही बना तो ग्रामीण करेंगे आंदोलन

सहरसा,01 सितंबर। किसी भी बड़े तीर्थस्थल की पहचान उसकी धार्मिक महत्ता और प्रवेश द्वार से होती है। इसलिये पुराने हो चुके मंदिर और प्रवेश द्वार का पुनर्निर्माण पूर्व के आकार में ही वृहत और भव्यता के साथ की जाती है। इसका उदाहरण है सिंहेश्वर स्थान, बैद्यनाथधाम, बाबा विश्वनाथ काशी आदि, मगर आश्चर्य की बात यह है सिद्धपीठ उग्रतारा स्थान महिषी के सौ वर्ष से अधिक पुराने प्रवेश द्वार को तोड़ दिया गया। सरकारी कोष से बनने वाले इस प्रवेश द्वार में चहारदीवारी भी शामिल थी। जितनी राशि आवंटित था।उसमें पुराने टाइप के प्रवेश द्वार बनना कतई संभव नही था। जो नया प्रवेश द्वार का निर्माण हुआ है वो कही से भी माँ उग्रतारा स्थान के मुख्य प्रवेश द्वार के अनुरूप नही है।उग्रतारा स्थान की पहचान रहे पुराने प्रवेश द्वार को तोड़कर मामूली सा नया गेट बनाया गया है। हालांकि नये गेट के निर्माण को ग्रामीण युवकों ने जून 2018 में रोका एवं तत्कालीन जिलाधिकारी,सांसद एवं पर्यटन मंत्री से भी सम्पर्क किया। जिसके बाद उग्रतारा न्यास समिति के तत्कालीन उपाध्यक्ष प्रमील कुमार मिश्रा ने पावर ग्रिड कंपनी कॉर्पोरेट जो सामाजिक दायित्व के तहत देश के प्रमुख पुरातात्विक,सांस्कृतिक,आध्यात्मिक स्थलों सहित अन्य जगहों का विकास कार्य करता है।उसे उग्रतारा स्थान विकास एवं सौंदर्यीकरण के लिए लगभग 62 लाख रुपए का टेंडर निकलने की बात कही।जिसमें 15 लाख 05 हजार प्राक्कलित राशि से 18 फीट चौड़ा भव्य द्वार निर्माण करवाने की बात कही। जिसके बाद युवाओं का आक्रोश कम हुआ। लेकिन चार वर्ष बीत जाने के बाद भी अभी तक मुख्य द्वार का निर्माण कार्य आरंभ नही हुआ है।इस प्रकरण पर अंशु झा ने कहा कि अगर भव्य मुख्य द्वार निर्माण का समुचित समाधान एवं निर्माण कार्य आरंभ नही हुआ तो तो एक बड़ा आंदोलन होगा।

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