मधुमक्खी पालन बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार का बेहतर साधन: डॉ अजय सिंह
सोनीपत महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय मशरूम अनुसंधान केंद्र मुरथल में एमएचयू कुलपति व कृषि एवं किसान कल्याण विभाग हरियाणा की अतिरिक्त मुख्य सचिव डा. सुमिता मिश्रा के निर्देशन में व्यवसायिक मधुमक्खी विषय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का विधिवत समापन हुआ। कार्यशाला में मुख्य अतिथि के तौर पर एग्रो हैक मुरथल के रिटायर अधिकारी हरिकृष्ण शर्मा ने शिरकत की। मंच संचालन डॉ. हरजोत ने किया।
मुख्य अतिथि ने प्रतिभागियों से कहा कि मधुमक्खी पालन ग्रामीण क्षेत्रों के मुनाफा देने वाले व्यवसायों में से एक माना जाता है। बड़ी संख्या में किसान इस व्यवसाय से जुड़कर बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं। मुरथल सैंटर पिछले 20 सालों से प्रदेश भर के किसानों को ट्रैनिंग दे रहा है। सैंटर के एक्सपर्ट द्वारा अलग अलग विषयो पर ट्रेनिंग दी जाती हैं, जिससे किसान ट्रेनिंग लेकर अपने क्षेत्रों में आगे बढ़ रहे हैं।
महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय करनाल के कुलसचिव व क्षेत्रीय मशरूम अनुसंधान केंद्र मुरथल सोनीपत के निदेशक डॉ. अजय सिंह कहा की मधुमक्खी पालन आज के दौर में कम लागत वाला कुटीर उद्योग के रूप में विकसित हो रहा है। यह एक ऐसा कृषि व्यवसाय है जिसमें कम लागत में अधिक मुनाफा प्राप्त होता है। मधुमक्खी पालन बेरोजगार युवाओं के लिए रोजगार का बेहतर साधन बन सकता है। इस व्यवसाय में अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि शहद और बाकी उत्पादों जैसे रॉयल जेली, प्रोपोलिस, मोम के उत्पादन के अलावा मधुमक्खियां पौधों के परागण के लिए भी जरुरी होती हैं। मधुमक्खियां फूल के नर भागों से परागकण को समान प्रजाति के फूल के मादा भागों में संचारित करती हैं। जो कई पौधों, सब्जियों, नट, बीज, घास आदि के लिए महत्वपूर्ण है। ज्यादातक किसान केवल फसल के उद्देश्य से मधुमक्खी के छत्तों को अपने खेतों खासकर कपास, टमाटर, मिर्च, बादाम की खेती के पास रखते हैं। इसका कारण ये है कि मधुमक्खियां सभी परागणकारी कीड़ों में से कम से कम 80 प्रतिशत परागण के लिए जिम्मेदार होती हैं। उन्होंने बताया कि एमएचयू विभिन्न बागवानी विषय पर लगातार ट्रेनिंग करवा रहा है मधुमक्खी पालन भी बागवानी का एक रूप है, एमएचयू के क्षेत्रीय मशरूम अनुसंधान केंद्र में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए पांच दिवसीय ट्रेनिंग दी गई, ट्रेनिंग में आने वाले सभी प्रतिभागियों को पूरी जानकारी उपलब्ध कराएगी ताकि वह अपने अपने क्षेत्रों में जाकर हैं, मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देकर ना केवल अपने आप को सशक्त करें बलिक दूसरों के लिए भी रोजगार के अवसर है सृजित करें। कार्यशाला में 30 प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिन्हें मुख्य अतिथि ओर कुलसचिव डॉ.अजय सिंह द्वारा सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया।