राष्ट्रीय

आपातकाल के 47 सालः इंदिरा के खिलाफ अखबार छापने पर हुई थी तोडफ़ोड़

रेल की पटरिया उखाडऩे में संघ के पदाधिकारी समेत कई लोग गए थे जेल

हमीरपुर, 22 जून । जिले में इन्दिरा गांधी के शासनकाल में लगाई गई इमरजेंसी को यहां याद कर आज भी संघ के पदाधिकारी और लेखक कांप उठते है। इमरजेंसी के दौरान इन्दिरा गांधी के खिलाफ अखबार छापकर विरोध करने पर आरएसएस के कई पदाधिकारियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था वहीं पुलिस ने थाने में आग लगाने और रेलवे की पटरिया उखाडऩे के प्रयासों का मामला दर्ज कर तमाम लोगों पर भारी अत्याचार किया था। उनके आवासों पर तोडफ़ोड़ की गई। और यह उत्पीडऩ की कार्रवाई २१ माह तक पूरे इलाके में चलती रही।

इन्दिरा गांधी को कुर्सी से हटाने के लिए उन दिनों पूरा विपक्ष सड़क पर आ गया था। सत्ता विरोधी आक्रोश को कुचलने के लिए भारत की तत्कालीन पीएम इन्दिरा गांधी ने 25 जून 1975 की आधी रात के बाद पूरे देश में इमरजेंसी लागू कर दी थी। भोर होते ही देश में गैर कांग्रेसी दलों के छोटे बड़े नेताओं की गिरफ्तारी शुरू हो गई थी। उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में इमरजेंसी के दौरान बड़ा घमासान हुआ था।

जिले के मौदहा कस्बे में बौद्धिक संघ प्रमुख देवी प्रसाद गुप्ता पर शिकंजा कसने के लिए खुफिया विभाग को लगाया गया। 3 जुलाई 1975 को संघ पर प्रतिबंध लगने के बाद देवी प्रसाद गुप्ता एवं जिला प्रचारक ओमप्रकाश ने इन्दिरा गांधी के खिलाफ चोरी छिपे एक लोकल अखबार छापना शुरू किया और जैसे ही अखबार क्षेत्र में बंटा तो खुफिया तंत्र ने पुलिस के साथ उनके घरों में छापेमारी शुरू कर दी। पूरी रात प्रिंटिंग प्रेस मशीन के बारे में पूछताछ की गई। इमरजेंसी का विरोध करने वालों को पुलिस ने भयभीत किया। इसके बाद भी संघ के ये दोनों नेता इन्दिरा के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। इन सभी के खिलाफ रेल की पटरिया उखाडऩे और थाने में आग लगाने के प्रयासों का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की गई।

इमरजेंसी में इन्दिरा के खिलाफ छपता था लोकल पेपर

इमरजेंसी के दौरान सात माह तक जेल में रहने वाले वयोवृद्ध देवी प्रसाद गुप्ता मौदहा कस्बे में आज भी लेखन कार्य कर रहे है। ये आरएसएस के बौद्धिक प्रमुख रहे हैं। इन्होंने जिला प्रचारक ओमप्रकाश तिवारी के साथ इमरजेंसी का विरोध किया और चोरी छिपे एक लोकल पेपर भी छापना शुरू कर दिया था। अखबार में सरकारी की उत्पीडऩात्मक कार्यवाही का एक कालम भी होता था। उन्होंने बताया कि खुफिया तंत्र ने पुलिस के साथ रात मेें घर में छापेमारी की और रिवाल्वर तानकर प्रिंटिंग प्रेस के बारे में पूछा लेकिन यातनायें सहने के बाद भी किसी ने मुंह नहीं खोला था। विरोधियों की धरपकड़ की कार्यवाही के साथ ही सड़कों पर इन्दिरा गांधी के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे और भारत माता की जय के नारे लगाने वाली जनता कभी पीछे नहीं हटी थी।

जेल के अंदर भी इंदिरा के खिलाफ लगे थे नारे

लोकतंत्र सेनानी देवी प्रसाद गुप्ता ने बताया कि अक्टूबर 1975 में उन्हें गिरफ्तार कर कुरारा थाना फूंकने का प्रयास करना और रेल की पटरियां उखाडऩे के आरोप लगाते हुये मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस ने छेनी हथौड़ाभी बरामद दिखाया था। उन्होंने बताया कि मदन राजपूत, बृजराज समेत कई छात्रों को भी इमरजेंसी में गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने बताया कि उस जमाने में इन्दिरा गांधी के खिलाफ नारेबाजी करने पर हमीरपुर और महोबा के 145 विरोधियों को यहां जेल में रखा गया था। जेल में पूरी रात सभी लोग इन्दिरा गांधी के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे और भारत माता की जय के नारे लगाते थे। कई बुजुर्ग लोग भी उनके इस आंदोलन में साथ थे।

ढाई माह के पेरोल में भी की गयी थी छापेमारी

सत्तर साल की उम्र में लेखन कार्य से जुड़े लोकतंत्र सेनानी देवी प्रसाद गुप्ता ने बताया कि शुरू में उन्हें तीन माह जेल में रहना पड़ा लेकिन पिता और बच्चों की तबियत खराब होने पर ढाई माह तक पेरोल में बाहर रहे थे। उन्होंने बताया कि ढाई माह के पेरोल अवधि में भी उनके घर और रिश्तेदारी में छापेमारी महज प्रिंटिंग प्रेस मशीन की बरामदगी के लिये की होती रही। हर रोज धमकी और भय से गुजरता था। घर में पुलिस वालों ने सारा सामान भी तोडफ़ोड़ कर बर्बाद कर दिया था। उन्होंने बताया कि इस देश में अंग्रेजों ने भी इतना जुल्म नहीं किया होगा जितना कि इन्दिरा गांधी की सरकार में हुआ था। लोगों के मौलिक अधिकार खत्म थे। लोकतंत्र भी रौंदा गया था।

कांग्रेस के खिलाफ संसदीय क्षेत्र में भड़का था आक्रोश

लोकतंत्र सेनानी देवी प्रसाद गुप्ता ने बताया कि इमरजेंसी 21 माह तक लागू रही। इस दौरान कांग्रेस के विधायकों के इशारे पर जनसंघ समेत अन्य दलों के कार्यकर्ताओं पर उत्पीडऩात्मक कार्यवाही की गयी थी। इसीलिये इमरजेंसी के बाद हुये आम चुनाव में आम जनता ने कांग्रेस के खिलाफ वोट किया था। इन्दिरा गांधी के खिलाफ जेल से बाहर आने के बाद सभी राजनैतिक बंदियों ने पूरे संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस विरोधी अभियान चलाया गया था जिसके कारण 1977 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार एवं सांसद स्वामी ब्रम्हानंद महाराज को पराजित होना पड़ा था यहां बीकेडी के तेज प्रताप सिंह सांसद बने थे। उन्हें सर्वाधिक 54 फीसद मत मिले थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker