पशु जनित बीमारी मंकी पॉक्स वायरस के बारे में घबराने की जरूरत नही : डा. मित्तल
— मित्तल नर्सिंग होम के बाल रोग विशेषज्ञ डा. निशांत मित्तल ने परामर्श के दौरान किया संबोधित
गन्नौर। कोरोना के बाद दुनिया में मंकी पॉक्स का खतरा लगातार बढ़ रहा है। भारत में भी मंकी पॉक्स के मामले सामने आए हैं। पांची रोड पर एक नर्सिंग होम में सोनीपत के मित्तल नर्सिंग होम के बाल रोग विशेषज्ञ डा. निशांत मित्तल ने परामर्श के दौरान लोगों को जागरूक किया। मंकीपॉक्स वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है। इसका इलाज कराएं। पशु जनित बीमारी मंकी पॉक्स दो से चार सप्ताह में ठीक हो जाती है। स्थानीय स्तर पर वायरस का प्रकोप नही हैं। बुखार, दाने और गांठ के जरिए उभरता है। इससे दुर्लभ बीमारी माना गया है। मंकीपॉक्स वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है। मंकी पॉक्स हवा में फैलने वाला वायरस नहीं है, बल्कि टच करने से बीमारी होती है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। केवल सावधानियां बरतने की आवश्यकता है। बाल रोग विशेषज्ञ डा. निशांत मित्तल ने बताया कि कोरोना के समय मामले इसलिए बढ़ गए थे। क्योंकि लोगों ने सावधानियां बरतनी छोड़ दी थी। डा. ने बताया कि इसके दो तरह के लक्षण है। वायल बीमारी के रूप में बुखार, सिर दर्द, जोड़ों में दर्द, थकावट, गला खराब शामिल है। बीमारी का खास लक्षण सारे शरीर पर चेचक की तरह घाव होना, आंखे लाल होना, व घाव में दर्द, खुजली होना है। इसके मरीज का अस्पताल में दाखिल कराना भी जरूरी नही है। इलाज घर में ही हो जाता है। डा. निशांत मित्तल ने बताया कि यह अपने आप ठीक होने वाली बीमारी है। कुछ मरीज के हालात पर निर्भर करता है। इसमें घावों को ढककर रखे। धूंल से बचाए। मरीज को आईसोलेट कर देना चाहिए। उन्होंने बताया कि मरीज को इन बातों का ख्याल रखना चाहिए। वह कपड़ों की साफ- सफाई का विशेष ध्यान रखें। उचित दूरी बरतने के साथ मास्क लगाएं हाथों को साबुन से अच्छी तरह साफ रखें। घावों होने पर उसे ढककर रखें। बुखार आने पर पैरासिटामॉल लें। पानी अधिक पीए और पौष्टिक आहार लें।