राष्ट्रीय

बाबा जोगेंद्र का निधन, पूर्वोत्तर की अपूरणीय क्षति

-पूर्वोत्तर को ‘पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय’ का उपहार देने में निभाई अग्रणी भूमिका

गुवाहाटी, 10 जून । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं संस्कार भारती के संस्थापक बाबा जोगेंद्र के निधन से पूरे पूर्वोत्तर भारत को अपूरणीय क्षति हुई है। वैसे तो पूरे देश में संस्कार भारती के माध्यम से बाबा जोगेंद्र ने भारतीय संस्कृति को राष्ट्रीय मंच पर लाने में अहम योगदान दिया है। खासकर, पूर्वोत्तर भारत के प्रति उनके मन में जो प्रेम था वह अपने आप में अनूठा कहा जा सकता है। पूर्वोत्तर की बहुआयामी संस्कृति को उन्होंने न सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई, बल्कि उसे राष्ट्रीय मंच पर स्थापित भी किया।

उन्होंने अपने 75वें जन्मदिन के अवसर पर पूरे देश में अमृत महोत्सव का आयोजन किया। इसी कड़ी में दिल्ली में अमृत महोत्सव का आयोजन करके पूर्वोत्तर के संस्कृति तथा यहां की समृद्ध परंपराओं से पहली बार पूरे देश को अवगत करवाया था। इस कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ ही अनेक बड़ी हस्तियों को इस मंच पर एकसाथ ला खड़ा किया था।

अमीर चंद जी को साथ लेकर उन्होंने जहां पूर्वोत्तर की परंपराओं को पूरे देश के साथ जोड़ा, वहीं पूरे पूर्वोत्तर में संस्कार भारती की इकाइयां स्थापित करके स्थानीय लोगों को संस्कार भारती के साथ एकाकार कर दिया।

संस्कार भारती की पूर्व सचिव मीता सेन ने बाबा जोगेंद्र के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। मीता सेन ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि सन् 2003 में उन्होंने गुवाहाटी में असमिया नववर्ष-रंगाली बिहू उत्सव का आयोजन किया। इसमें पूर्वोत्तर के सातों राज्यों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया था। इस कार्यक्रम में अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा, मुकेश खन्ना सरीखी बड़ी-बड़ी हस्तियों को आमंत्रित किया गया था।

वर्ष 2005 में उन्होंने दिल्ली के प्रगति मैदान में पूर्वोत्तर भारत के 375 सांस्कृतिक प्रतिनिधियों को लेकर एक बहुत बड़े कार्यक्रम का आयोजन करवाया। इस कार्यक्रम में अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, सुषमा स्वराज सरीखे नेता भाग लेने पहुंचे थे।

स्वभाव से सहज, सरल एवं मृदुभाषी व्यक्तित्व के धनी बाबा जोगेंद्र जहां एक तरफ दिन-रात विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए संस्कृति को आगे ले जाने की दिशा में काम करते थे, वहीं अपने लिए उन्होंने कभी भी कुछ नहीं किया। जहां एक ओर वे पूर्वोत्तर की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए कार्य करते रहे, वहीं देश का ध्यान पूर्वोत्तर की ओर आकृष्ट कराने के लिए भी उन्होंने कई उल्लेखनीय कार्य किए।

तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से आग्रह करके उन्होंने डिपार्टमेंट ऑफ नॉर्थ ईस्टर्न डेवलपमेंट (पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय) यानी डोनर मंत्रालय की नींव डलवायी। देश के पहले डोनर मंत्री डॉ. सीपी ठाकुर को उन्होंने डोनर मंत्रालय के अधीन किए जाने वाले कार्यों से संबद्ध एक बृहद् रोडमैप तैयार करके भी दिया था। यह बात बेहद कम लोगों को पता है कि पूर्वोत्तर के विकास में आज अहम योगदान देने वाले केंद्र सरकार के डोनर मंत्रालय की स्थापना में बाबा योगेंद्र का अहम किरदार था।

बाबा जोगेंद्र के प्रयासों से स्थापित हुए डोनर मंत्रालय द्वारा पूर्वोत्तर के विकास के लिए एक से बढ़कर एक योजनाएं बनायी गईं। पूर्वोत्तर को डोनर मंत्रालय का उपहार देकर इसके विकास का जो मार्ग उन्होंने प्रशस्त करवाया- उसके लिए बाबा जोगेंद्र का नाम पूर्वोत्तर के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। बाबा जोगेंद्र द्वारा पूर्वोत्तर के लिए किए गए कार्यों को शब्दों में समेटा नहीं जा सकता है। उनके निधन से पूरे पूर्वोत्तर में शोक की लहर दौड़ गई है।

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