बिहार

 यौमे पैदाइश पर शिद्दत से याद किए गए पैगम्बर मोहम्मद

मोतिहारी,09अक्टूबर। पुकारो या रसूल अल्लाह पुकारो या हबीब अल्लाह…की गूंज से रविवार को पूरा मोतिहारी शहर गूंजता रहा। पैग़ंबर -ए- इस्लाम हजरत मोहम्मद के यौमे पैदाइश पर मुस्लिम धर्मालंबियो ईद -ए- मिलादुन्नबी के रूप में मनाया।इस मौके पर अकीदतमंदो ने जगह-जगह जुलूस ए मोहम्मदी निकाला। जुलूस मदरसा गौसिया नूरिया रघुनाथपुर, बलुआ, बरियारपुर, राजा बाजार, अगरवा चौक, मीना बाजार चौक, ज्ञान बाबू चौक, जान पुल चौक, चांदमारी चौक होते हुए बलुआ चौक पर पहुंचा। जलूस में रसूल के दीवानों ने काफी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और रस्में पूरी की।

इस दौरान बलुआ मस्जिद के इमाम मौलाना मोहम्मद जैनुद्दीन खान ने बताया कि आज ही के दिन आखरी पैगंबर इस दुनिया में तशरीफ लाए थे कहा कि नबी ने पूरी दुनिया को प्रेम सद्भाव और भाईचारे की तालीम दी। पूरी दुनिया के लिए वे रहमत बनकर आए और उनका जीवन सबों के लिए अनुकरणीय है। वही मस्जिद ए गौसिया नूरिया के मौलाना इमरान आलम ने नबी की जिंदगी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नबी ने सामाजिक कुरीतियो और आपसी नफरत से इंसानी समाज को मुक्ति दिलाई।

बलुआ मस्जिद के इमाम मोहम्मद रजाउल्लाह नक्शबंदी ने कहा कि तमाम जहानों के लिए रहमत बनकर आए इंसानों को जीने का सलीका प्रदान किया। वही जुलूस ए मोहम्मदी के दौरान नारे तकबीर नारे रिसालत का नारा बुलंद होता रहा। गौरतलब हो कि हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलैहे वसल्लम ने ही इस्लाम धर्म की स्थापना की। इस्लामिक मान्यता के अनुसार हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला अलैह वसल्लम ही इस्लाम के आखिरी नबी है उनके बाद अब कायनात कोई नबी नहीं आने वाले हैं।

जुलूस ए मोहम्मदी के दौरान प्रशासनिक विधि व्यवस्था अलर्ट मोड में दिखी तथा जगह-जगह पर पुलिस के जवान तैनात किए गए थे। उक्त मौके पर अमजद रजा अमजदी,एनाम खान, अनवर हुसैन, मुजाहिद हुसैन, मुजफ्फर आलम, जफर आलम, दाऊद इकबाल, ताहिर हुसैन मोहम्मद साहब, मोहम्मद असलम सहित सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद थे।

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