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किसी को पीड़ित करने को नहीं शक्ति की जरूरत सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए : मिथलेश

– कानपुर प्रान्त के संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष का समापन समारोह आयोजित

जालौन/झांसी,11 जून । किसी को पीड़ित करने के लिए हम शक्ति को समाहित नहीं करते बल्कि सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए हमें शक्ति की आवश्यकता होती है। भारत को आजाद कराने, हिन्दू समाज को संगठित करने, हिंदुओं के खोए स्वाभिमान को बढ़ाने आदि के उद्देश्य को लेकर वर्ष 1925 में विजय दशमी के पर्व पर डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक की स्थापना की थी।

आज संघ भारत सहित विश्व के सौ से अधिक देशों में शाखाओं के माध्यम से वट वृक्ष के रूप में समाज को संगठित करने का कार्य कर रहा है। संघ का उद्देश्य व्यक्ति को जोड़ना है। उक्त विचार संघ के क्षेत्र बौद्धिक शिक्षण प्रमुख मिथलेश नारायण ने व्यक्त किया। वह आज उरई के एल्ड्रिच पब्लिक स्कूल में आयोजित कानपुर प्रान्त के संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष के समापन समारोह में प्रथम वर्षीय प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति के चलते पराधीन देश को स्वाधीन बनाने के लिए डॉ साहब ने नौकरी को मना कर दिया। तिलक जी के बाद उन्होंने गांधी जी के साथ भी कार्य किया हम अपने ही देश में रहते हुए भारत माता की जय बोलने के लिए भी समर्थ नहीं थे। हमारे देश में शिक्षक लोगों की कमी नहीं थी। धनवान लोगों की कमी नहीं थी और बलवान की भी कमी नहीं थी।

समाज का अध्ययन करने के बाद वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि एक ही कारण था कि हिन्दू स्वीकार करता था कि परिवार के साथ देश भी हमारा दायित्व है। इसी के चलते देश पहले विश्वगुरु था। कालांतर में हिन्दू भटक गया। आपस में एक दूसरे को हीन भावना से देखने लगा। वैदिक काल से आज तक अध्ययन पर पता चलता है कि जातियां तो थीं पर छुआछूत नहीं था। अंतिम समय तक श्रीकृष्ण ने कौरवों को समझने का प्रयास किया। हमारे यहां मानवता में भेद नहीं है। ऋषि कहते हैं वह जानवर के रूप में पृथ्वी पर भार है।

प्रत्येक हिंदुस्तानी को यह आभास होना चाहिए कि ये राष्ट्र हमारी मां है। कालांतर में हिन्दू अपने शौर्य और पराक्रम को भूल गया। इसी शौर्य व पराक्रम को याद करने के लिए आज से 96 वर्ष पूर्व डॉ. साहब ने इसकी शुरुआत की। शक्ति किसी को पीड़ित करने के लिए शक्ति नहीं चाहिए। अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए शक्ति की आवश्यकता होती है। ये बुंदेलखंड की भूमि हारने वाली नहीं है। देश पर प्राण न्यौछावर करने वालों की कीर्ति गायन भी नहीं कर पाते थे। आज भी दुर्दांत औरंगजेब को पढ़ाया जाता है। वीर शिवाजी महाराज को नहीं पढ़ाया गया।

महाराणा प्रताप को भी नहीं पढ़ाया गया जितना औरंगजेब को पढ़ाया जाता है। आज भी देश पूर्णतः स्वतंत्र नहीं है। जब तक स्वतंत्र चिंतन नहीं होगा स्वतंत्र भारत की परिकल्पना नहीं हो सकती। आज घर के भीतर तक अंग्रेज पहुंच गया। मानसिक रूप में आज भी हम गुलाम हैं। विवाह में मुहूर्त का भी महत्व नहीं रहा। भारतीय संस्कृति में दीप देव है आज हम जन्मदिन मनाते हुए दीप बुझाते हैं। केक काटा जाता है। हमारे यहां बालक को देवता माना जाता है।

बचपन से ही देव तुल्य बालक को चाकू थमाकर देश को काटना सिखाते हैं। जिस संस्कृति से देश विश्वगुरु बना वह विश्वबंधुत्व की भावना थी। किसी को यकीन नहीं होता था कि हिन्दू संगठित भी हो सकता है, लेकिन ऐसा हुआ। ध्येय में विश्वास रखे तो सफलता निश्चित मिलती है। अंग्रेज चले गए। जब हम संगठित होने शुरू हुए तो एक वर्ग ऐसा आया जो घृणा करने लगा। जो स्वयंसेवक अपने देश की सीमाओं के समीप रहते हैं उन्हें अपनी सीमाओं का ध्यान रखते हुए उनकी रक्षा करनी चाहिए। यदि किसी को जानना है कि संघ क्या करता है तो दूर से पता नहीं चलेगा। उसे शाखा में आना पड़ेगा, तभी संघ को समझा जा सकेगा।

उन्होंने कहा कि संघ का स्वयंसेवक हर परिस्थिति का डटकर मुकाबला कर सके और भारतमाता के रक्षार्थ अपने प्राणों का उत्सर्ग करने में आगे रहे। इसीलिए संघ द्वारा ऐसे प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जाता है। कानपुर प्रान्त के 21 जिलो के 321 सेवको ने 20 दिनों का कड़ा प्रशिक्षण प्राप्त किया। इन प्रशिक्षणाथियों को प्रशिक्षण देते एवं सम्पूर्ण व्यवस्था को गतिशील बनाने के लिए 155 संघ के कार्यकर्ता व अधिकारी पूरे समय प्रशिक्षण वर्ग में मौजूद रहे। समापन समारोह में संघ के प्रशिक्षणार्थी को न 20 दिन में प्राप्त किए फिर प्रशिक्षण के अनुरूप शारीरिक एवं खेल योग, घोष आदि का सफल प्रर्दशन किया।

इस अवसर पर कानपुर प्रान्त के प्रान्त संघ चालक ज्ञानेन्द्र सचान, प्रान्त प्रचारक श्रीराम, सह प्रान्त प्रचारक रमेश, प्रान्त प्रचार प्रमुख अनुपम, प्रांत कार्यवाह अनिल श्रीवास्त्वय, सह प्रान्तकार्यवाह भवानीभीख, वर्ग अधिकारी जय सिंह सेंगर, वर्ग कार्यवाह रमेश, जिला संघचालक रामकृष्ण, सह जिला संघ चालक शिवराम जिला प्रचारक यशवीर, विभाग कार्यवाह ओम नारायण, अखण्ड प्रताप, जिला प्रचारक यशवीर सहित भाजपा एवं संघ के विभिन्न अनुसांगिक संगठनों के पदाधिकारी उपस्थित रहे।

समापन समारोह की अध्यक्षता लेफ्टिनेन्ट कमाण्डर अनूप कुमार महरोत्रा ने की। वर्ग में सर्व व्यवस्ता प्रमुख रामबहादुर, सर्व व्यवस्था प्रमुख इंजी. अजय इंटोदिया, मुख्य शिक्षक विनय, सहमुख्य शिक्षक रमेश ने इंजी. अजय इटोरिया प्रबंधक को विद्यालय भवन केंपस व्यवस्था देने के लिए बहुत-बहुत आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में मनीष आदि का सहयोग रहा। सुरक्षा व्यस्था बलवीर सोनी के हाथ रही।

शिविर में प्रतिदिन गांवों से आती थी 7 हजार रोटियां

स्थानीय एलिडिच पब्लिक स्कूल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कानपुर प्रांत के 21 जिलों के 321 प्रशिक्षणाथियो के 20 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में प्रतिदिन विभिन्न जिले के गांवों से 7 हजार रोटियां लाई जाती थी। सुबह साढे तीन हजार और शाम को साढे तीन हाजार रोटियां मंगवाने की नई योजना प्रान्त प्रचारक श्रीराम जी ने बनाई जो बहुत सफल रही। इसके अलावा प्रत्येक दिन दो गांव से प्रत्येक घर से 100 रोटियां मंगाई जाती थी। इस नऐ प्रयोग के माध्यम से इस 20 दिन के शिविर के माध्यम से प्रान्त प्रचारक ने सैकडों गांवों के हजारो घरो हिन्दू परिवारों से रोज रोटियां मंगवा कर व जाति पांत के भाव को हटाकर हिन्दू समाज को एक परिवार के रुप महसूस कराने काम किया।

मातृ हस्त भोजन

संघ के 20 दिन के संघ शिक्षा वर्ग में पहली बार एक और नया प्रयोग हुआ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ परिवार की महिलाओं ने माताओं की तरह प्रतिदिन अपने पुत्र पुत्रियों को अपने हाथ से भोजन कराया। उसी तरह का चित्र इस ओटीसी में प्रतिदन दिखा। जब प्रदेश के 21 जिलों से आए 321 प्रशिक्षनार्थियों और अधिकारियों को महिलाओं ने चार चार स्वयंसेवकों और प्रशिक्षाणर्थियों को मां की तरह अपने हाथों से परोस कर दोनों समय भोजन कराया। जिसे मातृहस्त भोजन का नाम दिया गया।

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