शंकरगढ़ में ग्रीन इंडिया फाउंडेशन तैयार कर रहा मिनी फॉरेस्ट
प्रयागराज, 13 अक्टूबर । शंकरगढ़ के गाढ़ा कटरा में एक पहाड़ है जो लगभग 200 बीघे का है। यहां पहले जंगल हुआ करता था, लेकिन सिलका सैंड की माइनिंग के चलते यह जंगल भी कटा और पूरा पहाड़ खत्म हो गया। यहां 7-8 साल पहले सिलका सैंड माइनिंग बंद हुई। अब 3-4 महीने से गाढ़ा कटरा में प्लांटेशन शुरू हुआ है जो एक ऐतिहासिक मिनी फॉरेस्ट बन कर तैयार होगा। जिसको ग्रीन इंडिया फाउंडेशन ने “जन अरण्य“ नाम दिया है।
यह जानकारी प्रयागराज फाउंडेशन के अध्यक्ष शशांक शेखर पाण्डेय ने देते हुए बताया कि इस अभियान में ग्रीन इंडिया फाउंडेशन के सदस्य विजय शुक्ला एवं कालेश्वर मिश्र के साथ स्थानीय स्तर पर स्वयं शशांक शेखर पांडेय शंकरगढ़ ब्लाक के गाढ़ा कटरा, खान सेमरा, मेजा ब्लॉक के कोहड़ार खेल मैदान में स्वयं जाकर वृक्षारोपण किया और जन अरण्य की देखभाल का संकल्प लिया।
उन्होंने बताया कि यह उबड़-खाबड़ जमीन बंजर बनकर रह गई है। 2020-21 की गंगा पदयात्रा के साथ गंगा वृक्ष माल अभियान के समापन के दौरान तत्कालीन मंडलायुक्त प्रयागराज संजय गोयल ने संपूर्ण टीम का स्वागत और अभिनंदन किया था। जिसमें उन्होंने वृक्षारोपण को बहुत ही सराहनीय काम बताते हुए एक विशेष आग्रह किया था कि उनके प्रयागराज मंडल में प्रतिवर्ष लाखों पौधे लगाए जाते हैं, लेकिन उनका सर्वाइवल रेट बहुत ही कम 2 से डेढ़ परसेंट ही रह जाता है। उनका आग्रह था कि हम कुछ ऐसा करें कि प्रयागराज में प्रतिवर्ष हो रहे प्लांटेशन में सर्वाइवल रेट ज्यादा से ज्यादा रहे। बताया कि सम्बंधित लोगों ने संजय गोयल के आदेशानुसार यमुनापार की जमीन का सर्वे कराया। जिसमें 8 से 10 लोकेशन दिखाने पर 3 ब्लॉक मेजा, उरूवा, शंकरगढ़ में छह लोकेशन फाइनल की गई। जिसमें शंकरगढ़ में एक महत्वपूर्ण स्थान गाढ़ा कटरा जो सिलिका सैंड माइनिंग का एक बहुत बड़ा केंद्र बिंदु था का चयन किया गया।
पाण्डेय ने बताया कि जन-अरण्य परियोजना प्रतिवर्ष लगाए जाने वाले पौधों से एकदम भिन्न है। पहले जमीन तैयार की ज़ाती है। जमीन तैयारी का प्रोसेस एक लंबी प्रक्रिया है। अगर जमीन सही है तो ठीक है, वहां तो केवल पत्थर ही पत्थर था तैयार किया गया और फिर बाउंड्री सुरक्षा के लिए तैयार की गई और सिंचाई हेतु पानी सुनिश्चित करके वृक्षारोपण किया गया है। साथ ही दिन और रात चौकीदार भी तैनात रहेगा। चौकीदार और देखरेख की व्यवस्था अगले 3 साल तक ग्रीन इंडिया फाउंडेशन, प्रयागराज प्रशासन के साथ मिलकर इसकी देखरेख सुनिश्चित करेगा और आसपास के ग्रामीण जनों की सहभागिता रहेगी।