राष्ट्रीय

बेटियों को शिक्षित के लिए महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना आवश्यक : आनंदी बेन

ऋषिकेश, 08 अक्टूबर । उत्तर प्रदेश की राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान समय में बेटियों को शिक्षित किए जाने के साथ-साथ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाए जाने की आवश्यकता है। यह बात उत्तरप्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने परमार्थ निकेतन और माता ललिता देवी सेवा आश्रम ट्रस्ट द्वारा संयुक्त रूप से ऋषिकेश में दो दिवसीय भारतीय नारी घर और बाहर पर,नारी संसद के दौरान कहीं।

उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि बेटियों को शिक्षित करने की अत्यंत आवश्यकता है। हमारी बेटियां विद्यालयों तक तो पहुंचती हैं लेकिन प्राइमरी शिक्षा लेते-लेते ही वे विद्यालय छोड़ देती हैं। उन्होंने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने और अपने पैरों पर खड़े होने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि आज जरूरत है महिलाओं के अन्दर स्वाभिमान जगाने की। उन्हें छोटे-छोटे रोजगार से जोड़ कर सशक्त बनाने की। उन्होंने शाम को गंगा आरती में भी प्रतिभाग किया।

नारी संसद में स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि शक्ति पर्व केवल नवरात्रि ही नहीं है, बल्कि हर दिन शक्ति पर्व मनाने की जरूरत है ताकि हमारी बहन-बेटियां सुरक्षित रह सकें। यह समय अमृत भारत का अमृत महोत्सव है। हम सभी को मिलकर अन्तिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचने और उनके जीवन को समुन्नत बनाने के लिये प्रयास करना होगा।

साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि भारत की संस्कृति शक्ति की संस्कृति है। भारत की संस्कृति देवी के पूजन की संस्कृति है। हमारे शास्त्रों में जो ज्ञान, शिक्षा और संस्कृति समाहित है उसे समाज में लाने की जरूरत है। संसद केपहले सत्र में वक्ताओं ने नारी संसद-घर और बाहर विषय के विस्तार, बारीकियों पर बात की।

दूसरे सत्र में जमीन स्तर पर कार्य करने वाली 21 राज्यों से आयी महिलाओं ने अपने कार्य करने के अनुभवों को शेयर किया। साथ ही नाॅलेज शेयरिंग और नेटवर्क बिल्डिंग कार्यशाला का आयोजन किया गया।

नारी संसद के सह संयोजक रवि शंकर तिवारी ने संसद में भारतीय समाज की प्राथमिकता इकाई द्वारा परिवार की संरचना और कार्य पर आधारित अशोक को प्रमुखता से रखते हुए कहा कि भारतीय नारी के लिए क्या-क्या करना ठीक रहेगा,उसके सपने क्या है और चुनौती कहां आ रही है। इस पर भी गंभीरता पूर्वक विचार किया जाना चाहिए।

आचार्य लोकेश, सामाजिक एवं पर्यावरण कार्यकर्ता और आर्थिक विचारक के.एन.गोविन्दाचार्य,रवि शंकर तिवारी,विनोद बागरोडिया व विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग कर महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया।

संसद में भोजन संस्कृति,वस्त्र संस्कृति,भाषा संस्कृति, कला संस्कृति,पाकशाला संस्कृति,पर्यावरण स्वच्छता संस्कृति आदि विषयों पर विभिन्न विश्वविद्यालयों से आये प्रोफेसर्स एवं विशेषज्ञों ने शिक्षा की ताकत के बारे में जानकारी दी।

नारी संसद में नारियों के उत्थान और सशक्तिकरण को डॉ सुभा रावल, पूर्व मेयर मुंबई, प्रियंका मिश्रा, आईपीएस निदेशक प्रशासन, इंदिरा गांधी कला केंद्र, नई दिल्ली,प्रोफेसर मंजू गोयल,एमएसडब्ल्यू विभाग, सत्यवती कॉलेज डीयू, प्रोफेसर शीला मिश्रा,रूपम जौहरी और गिन्नी जैन,मीना जगताप, एडवोकेट प्रतिभा ताई शिंदे, सामाजिक कार्यकर्ता प्रो. वीणा शर्मा, निदेशक केन्द्रीय हिंदी संस्थान, आगरा, प्रो. विनय कपूर, कुलपति डॉ भीम राव अम्बेडकर राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, सांची बौद्ध अध्ययन विश्वविद्यालय, भोपाल, प्रो. लक्ष्मी मिश्रा, गोरखपुर विश्वविद्यालयय डॉ (प्रो) (लेफ्टिनेंट) वंदना शर्मा, प्राचार्य गन्नो देवी महिला महाविद्यालय, बदायूं, राजपाल कौर, पंजाबी शिक्षिका, चंचल झावर और पीयूष अभि, उद्यमी, सीनू जोसेफ और, अन्य गणमान्य अतिथियों ने परिचर्चा में सहभाग कर अपने विचार व्यक्त किये।

कार्यशाला में सहभाग करने वाले प्रतिभागियों ने परमार्थ निकेतन में आयोजित आध्यात्मिक कार्यक्रमों में भी भाग लिया।

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