भारत के स्वर्णिम इतिहास से आम लोगों को रखा गया दूर : महेंद्र नाथ पांडेय
पटना/डेहरी आन सोन, 26 दिसम्बर। केंद्रीय भारी उद्योग मंत्री डॉ महेंद्र नाथ पांडेय ने सोमवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद और अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के तहत बिहार के रोहतास जिला के डेहरी प्रखण्ड के जमुहार स्थित गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय परिसर में अपने सम्बोधन में कहा कि भारत का इतिहास हजारों साल प्राचीन है। लेकिन हम सबों को यह सब नहीं पढ़ाया गया। यह संगोष्ठी भारत के प्राचीन गौरव और इतिहास को सामने लाने की कोशिश करेगा।
केंद्रीय मंत्री महेन्द्र पांडे ने कहा कि स्व की अवधारणा किसी राष्ट्र ,समाज ,संस्कृति की अंतर चेतना से अनुभूति कराता है। महर्षि अरविंद ने कहा था कि भारत भौगोलिक रूप से स्वतंत्र हुआ है लेकिन सांस्कृतिक रूप से नहीं। अब वह समय आ गया है जिसके जरिए सांस्कृतिक आंदोलन को आगे बढ़ाया जा सके।
उन्होंने कहा कि भारत में एक जाति आई थी हुन। कुमार गुप्त के पुत्र समुद्रगुप्त,स्कंदगुप्त ने उसे पराजित किया था ।लेकिन ऐसे महापुरुष के इतिहास को तिरोहित किया गया। उन्होंने कहा कि भारत के प्राचीन इतिहास को सही रूप से प्रकाशित प्रसारित नहीं किया गया है।सही तथ्यों को नई पीढ़ी के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है। इसी उद्देश्य से भारतीय इतिहास संकलन योजना देशभर के इतिहास के विद्वानों के सहयोग से शोध कर रहा है तथा इससे संबंधित विभिन्न पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है तथा प्रक्रिया निरंतर जारी है ।
सुरेश सोनी ने कहा-वर्ष 2023 में देश में लागू होगी नई शिक्षा नीति
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य व सम्मेलन के विशिष्ठ अतिथि सुरेश सोनी ने इस अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि अपने स्व को जागृत करके ही पुरातन संस्कृति एवं इतिहास को सही मायने में प्रस्तुत किया जा सकता है।जिस प्रकार से गैर हिंदू विचारधारा के लोगों द्वारा सैकड़ों वर्षों तक भारतीयों के संस्कृति को नुकसान पहुंचाने का काम किया है उसका प्रतिरोध अब जाकर शुरू हुआ है। कालांतर में यही प्रयास भारत को पुनः विश्व गुरु बनाने का सत्य संकल्प होगा।
उन्होंने कहा कि अभी देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है लेकिन आने वाला 100 वां साल कैसा हो इसे लेकर अभी से ऐसी तैयारियां चल रही है कि भारत विश्व गुरु के अपने सपने को साकार कर सके। उन्होंने कहा कि 2023 के सरस्वती पूजा के दिन नई शिक्षा नीति लागू होगी ।
विश्वविद्यालय के कुलाधिपति व पूर्व राज्यसभा सदस्य गोपाल नारायण सिंह ने आगत अतिथियों का स्वागत किया।उन्होंने इतिहासकारों का स्वागत करते हुए अपने संबोधन में कहा कि भारतीय इतिहास में सिर्फ पिछले 400 सालों का इतिहास पढ़ाया जाता है ।लेकिन इसके पहले के इतिहास के बारे में बहुत कम जानकारी मिलती है। जबकि भारत का इतिहास हजारों साल पुरानी है।मौजूद इतिहासकार उस दिशा में आगे काम करेंगे।
भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ देवी प्रसाद सिंह ने अध्यक्षता की ।उन्होंने देश भर से आए इतिहासकारों से इतिहास लेखन के संबंध में कई सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि इंडिया के स्थान पर भारत का प्रयोग करें। कालगणना का प्रयोग करें। इतिहास में फिलहाल मानव के क्रामिक विकास का अध्ययन किया जाता है लेकिन भौतिक और सांस्कृतिक चेतना के बगैर बिना प्राण वाले शरीर जैसा हाल होगा।
उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि दूसरी संस्कृति के उधार लिए शब्दों का प्रयोग नहीं करें।अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के बिहार के सचिव प्रोफेसर राजीव रंजन ने संगोष्ठी के विषय की पृष्ठभूमि से इतिहासकारों को परिचित कराया। उन्होंने कहा कि स्व से स्वतंत्रता को जोड़ने से देश अपना गौरव पा सकता है। प्रतिरोध का अभिप्राय है कि गलत का प्रतिरोध और सही लाने का प्रयास करना है।
उद्घाटन सत्र कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर ईश्वर चंद विश्वकर्मा ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन गोपाल नारायण सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ महेंद्र सिंह ने किया ।कार्यक्रम के आरंभ में संस्थान के सचिव गोविंद नारायण सिंह ने भारत सरकार के मंत्री महेंद्र नाथ पांडे को जबकि प्रबंध निदेशक त्रिविक्रम नारायण सिंह ने आर एसएस के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश सोनी को अंगवस्त्र और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।