हरियाणा

गुरुग्राम: समर्पण व दया का नाम राम और अंहकार का नाम है रावण: सुदर्शन

-यज्ञ भारत का प्राण है, इसलिए यज्ञ करना है जरूरी

गुरुग्राम

भारतीय शिक्षण मंडल दिल्ली प्रान्त के विशेष आमंत्रित सदस्य सुदर्शन कुमार ने कहा कि यज्ञ भारत का प्राण है। जिस दिन भारत से यज्ञ संस्कृति निकल गई, उस दिन भारत निष्प्राण हो जाएगा। यह बात उन्होंने रहववार को राम नवमी के अवसर पर कुटुंप्रबोधन एवं गायत्री परिवार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 51 कुंडीय यज्ञ समारोह में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए कही। इससे पूर्व अशोक सिंघल वेद विज्ञान संस्थान परिसर में 51 कुंडीय यज्ञ का आयोजन किया गया। बड़ी संख्या में लोगों ने इस यज्ञ कार्यक्रम में अपनी आहुति अर्पण की।

यज्ञ में विश्व कल्याण, कोरोना महामारी का अंत, भारतीय सनातन संस्कृति की अनुपालना करने का आह्वान करते हुए लोगों अपनी ओर से आहुतियां समर्पित की। गायत्री परिवार ने यज्ञ के महत्व पर प्रकाश डाला। सुदर्शन कुमार ने आगे कहा कि यज्ञ करना भारत की सनातन परम्परा रही है। दुनिया में भारत की संस्कृति व परम्पराएं श्रेष्ठ हैं। अनेक देश अब भारत के संस्कृत जे ग्रन्थों का अपनी भाषा में अनुवाद कर उसकी अनुपालना कर रहे हैं, लेकिन भारत के कुछ कुटिल व समाज को विकृत करने की मानसिकता वाले लोग वैचारिक प्रदूषण फैला रहें है। उन्होंने कहा कि धर्म व परोपकार की राह में कुछ रुकावटें अवश्य आएंगी, लेकिन मानव व देश उत्थान का यही एक मात्र मार्ग है।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे गंगोत्री से पानी के वेग से टूटने वाली चट्टान का पत्थर शुरू में टेढ़ा मेढा व नुकीला होता है, लेकिन गंगोत्री की पावनता में बहता हुआ वह पत्थर अपना स्वरुप बदलते हुए शालिग्राम बनकर पूजनीय हो जाता है। उनके अनुसार अपने सामाजिक कर्तव्य के लिए समर्पित व दयावान व्यक्ति राम के नजदीक होता है जबकि अंहकारी व्यक्ति रावण के नजदीक। सुदर्शन ने आह्वान करते हुए कहा कि आज के इस यज्ञ कुंड में पवित्र आहुति के साथ अपने अंहकार की भी आहुति डालें। भारत के लिए कार्य करना। भारत विश्व गुरु बने हम सबको इन दिशा में राष्ट्र व समाज के प्रति अपने कर्तव्य का पालन निष्ठा पूर्वक करना होगा।

इस अवसर पर पूर्व डीजीपी राकेश भाटोटिया ने कहा कि जब सम्पूर्ण समाज भेद भाव भुलाकर कार्य करता है तो उसके सार्थक परिणाम निकलते है। इस अवसर आरएसएस विभाग कार्यवाह हरीश कुमार, विभाग सम्पर्क प्रमुख प्रदीप शर्मा, सेवा प्रमुख विमल, बौद्धिक प्रमुख विजय कुमार, वेद विज्ञान यूनिवर्सिटी के निदेशक व प्रसिद्ध शिक्षाविद डॉ. अशोक दिवाकर, मुख्य आयोजक दिनेश कपूर, भीमसेन और गायत्री परिवार के अनेक गण्यमान सदस्य उपस्थित रहे

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