राष्ट्रीय

 संलैंगिक विवाह पर दो जज निर्णय नहीं ले सकते- सुशील मोदी

नई दिल्ली, 18 दिसंबर। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद सुशील मोदी ने सोमवार को संसद में समलैंगिक विवाह को मान्यता दिए जाने से जुड़ी कानूनी लड़ाई का मुद्दा उठाया और इसके विरोध में सरकार को मजबूत पक्ष रखने का अनुरोध किया।

राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान सुशील मोदी ने कहा कि समलैंगिक विवाह भारत के सांस्कृतिक मूल्य के खिलाफ है और इसे कोई भी पर्सनल लॉ मान्यता नहीं देता। ऐसे में वामपंथी विचारधारा के लिबरल कानूनी ढंग से भारत का पाश्चात्यकरण करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए कोर्ट को भी आगाह किया और कहा कि वहां बैठे दो जज इस मुद्दे पर निर्णय नहीं ले सकते।

सुशील मोदी ने आगे कहा कि समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर संसद और समाज में एक बहस होनी चाहिए। विवाह एक बायोलॉजिकल पुरुष और बायोलॉजिकल महिला के बीच पवित्र बंधन है।

उन्होंने कहा कि दुनिया के 33 देशों ने समलैंगिक विवाह को मान्यता दी है। लेकिन एशिया में केवल एक देश ताइवान को छोड़कर किसी ने इसे मान्यता नहीं दी। लेफ्ट लिबरल इसे मान्यता दिलाने का प्रयास कर रहे हैं जिसका वह विरोध करते हैं। सरकार से आग्रह करते हैं कि वह कोर्ट में इसका मजबूती से पक्ष रखें।

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