नवसंवत्सर का शंख बजाकर स्वागत, चौराहों-घरों पर फहरा रही पताका
जयपुर
रेवती नक्षत्र, मीन लग्न और तीन राजयोगों के शुभ संयोग में शनिवार सुबह हिंदू नवसंवत्सर-2079 का जोरदार स्वागत किया गया। शुक्रवार को ही प्रदेश के शहर-गांव व कस्बों के सभी मुख्य मार्ग और चौराहों को भगवा पताका से सजा दिया गया था।
नवसंवत्सर के स्वागत में शनिवार सवेरे मंदिरों में शंख, घंटा, घडिय़ाल बजाकर महाआरती की गई। ठाकुर जी का अभिषेक कर नवीन पोशाक धारण कराकर नवीन पंचांग पढ़कर सुनाया गया। जयपुर के आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में धूप आरती में पंचांग पूजन किया गया। ध्वज पूजन कर गज वंदन किया गया। विश्व शांति का संदेश देने के लिए दो श्वेत कपोत छोड़े गए। नववर्ष प्रतिपदा पर दर्जनों स्थानों पर रंगोली सजाकर प्रदेशभर में कई स्थानों पर शोभायात्रा निकाली गई।
देवी मंदिरों में नववर्ष प्रतिपदा पर कोरोनाकाल के दो साल बाद उल्लास झलका। माता के दरबार राेशनी और सजावट से दमक उठे हैं। सीकर के जीण माता मंदिर पर चैत्र नवरात्र की शुरुआत के साथ ही जीणमाता का मेला शुरू हाे गया। मुख्य मेला छह व सात अप्रैल काे भरेगा। शनिवार को सुबह घट स्थापना के साथ मेला शुरू हो गया। इस दिन सुबह मैया का दिल्ली के फूलों से विशेष शृंगार किया गया। इस बार भक्तों को नवरात्र के पहले दिन मां जीण भवानी ने सूरत की पोशाक में दर्शन दिए। मंदिर परिसर को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया।
वागड़ के प्रसिद्ध शक्तिपीठ त्रिपुरा सुंदरी मंदिर को चैत्र नवरात्र की पूर्व संध्या पर आकर्षक रोशनी से सजाया गया। मंदिर में शनिवार से आठ दिवसीय अनुष्ठान, पूजा-अर्चना आदि आरंभ हो गए। पंचाल समाज चौदह चोखरा व्यवस्थापक मंडल के सान्निध्य में मंदिर में श्रद्धालुओं के दर्शन व पूजा-अर्चना की सभी तैयारियां पूर्ण की गई। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की सुबह सात बजे पूजा-अर्चना कर नूतन वर्ष का अभिनंदन किया गया। सुबह आठ बजे शुभ मुहूर्त में घटस्थापना की गई।
नववर्ष प्रतिपदा पर करौली के कैलादेवी मंदिर में कैला मां के दर्शनों के लिए बड़ी संख्या में भक्तों का पहुंचना जारी है। लाखों पदयात्री और श्रद्धालु राजराजेश्वरी कैला मां के दर्शन कर मनौती मांगने पहुंचे हैं।