राष्ट्रीय

जनवरी में काशी आएंगे विदेशी मेहमान, भव्य स्वागत की तैयारीर

लखनऊ, 29 सितंबर। काशी की ख्याति सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि विदेशों तक पहुंच चुकी है। इसी कड़ी में अब शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ का एक प्रतिनिधिमंडल अगले वर्ष 16 जनवरी को काशी आ रहा है। आठ सदस्य देशों के विदेशी मेहमान काशी की संस्कृति और यहां की पौराणिकता से रूबरू होंगे।

उल्लेखनीय है कि इसी माह एससीओ ने काशी को दुनिया की पहली सांस्कृतिक और पर्यटक राजाधानी का दर्जा दिया है। इसके बाद प्रदेश सरकार ने एससीओ के समस्त सदस्यों को काशी भ्रमण का न्यौता भेजा है। पीएम मोदी के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भारत की सांस्कृतिक और पारंपरिक झांकी प्रस्तुत करने वाले पवित्र शहर वाराणसी को संवारने के प्रति संकल्पित हैं। यह उनके प्रयासों का ही नतीजा है कि बीते कुछ वर्षों में यह धार्मिक नगरी प्रदेश के पर्यटन का सबसे प्रमुख केंद्र बनकर उभरी है। देश और विदेश से लाखों तीर्थयात्री प्रतिदिन काशी आ रहे हैं।

स्वागत की तैयारियां हुईं तेज

अगले वर्ष काशी आ रहे इन विदेशी मेहमानों का प्रदेश सरकार स्वागत करने को तैयार है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर काशी को सजाने और संवारने की कवायद तेज हो गई है। इन विदेशी मेहमानों के भव्य स्वागत के लिए मुख्यमंत्री योगी ने आला अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए है। निर्देशों में कहा गया है कि स्वच्छता मिशन के तहत शहर को पूरी तरह से साफ-सुथरा रखा जाए। सभी प्रमुख चौराहों पर जाम की समस्याओं का निस्तारण किया जाए। मेहमानों के आगमन पर स्कूली बच्चे उनका स्वागत करेंगे। सरकार की मंशा है कि मेहमान जब काशी पधारें तो उन्हें अपनत्व का बोध हो, ताकि वो काशी की संस्कृति को समझ सकें।

दरअसल, एससीओ यानी शंघाई सहयोग संगठन विश्व के आठ देशों की सदस्यता वाला एक आर्थिक एवं सुरक्षा गठबंधन है। इसमें चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, तजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, भारत और पाकिस्तान शामिल हैं। यह संगठन सुरक्षा ही नहीं बल्कि आपस में आर्थिक तरक्कीन को बल देने के प्रयासों के लिए भी कार्य करता है। ऐसे में उनका वाराणसी आना सांस्कृथति पहचान के अलावा इन देशों के साथ कारोबार के लिहाज से भी काफी महत्वसपूर्ण माना जा रहा है।

अक्टूबर में निखरेगी काशी

प्रमुख सचिव पर्यटन, मुकेश मेश्राम ने मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप अगले माह रामनगर रामलीला तक व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का निर्देश दिया है। अक्टूबर-नवंबर का महीना त्योहारों से भरा हुआ है। हालांकि, काशी के लिए यह और भी खास है। काशी में अक्टूबर में 200 साल पुरानी रामनगर रामलीला का आयोजन होता है। यह काशी की सबसे प्राचीन रामलीला है। इसकी शुरुआत अनंत चतुर्दशी से होती है और एकादशी तक यानी 31 दिनों तक जारी रहती है। इसके अलावा पांच नवंबर से आठ नवंबर तक देव दीपावली ‘प्रकाश का पर्व’ मनाया जाना है। यह कार्तिक मास में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। मान्यता है कि सभी देवता इस अवसर को मनाने के लिए वाराणसी के घाट पर इकट्ठा होते हैं। लोग इस अवसर को घाटों पर दीये जलाकर मनाते हैं और उन्हें सजाते हैं। देव दिवाली पर काशी में दुनिया भर के पर्यटक जुटते हैं। इस लिहाज से पर्यटन विभाग ने अभी से कमर कस ली है।

वाराणसी का है पौराणिक महत्व

काशी विश्व के प्राचीनतम नगरों में से एक है। माना जाता है कि गौतम बुद्ध ने अपने शिष्यों को प्रथम उपदेश वाराणसी में दिया था। यह शहर अध्यात्मवाद, योग, हिंदू पौराणिक कथाओं, संस्कृति तथा संस्कृत भाषा से जुड़ा हुआ है।

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