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 भारत ने इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक अग्नि-5 का किया सफल रात्रि परीक्षण, चीन समेत आधी दुनिया रेंज में

नई दिल्ली, 15 दिसंबर। भारत ने चीन-पाकिस्तान समेत यूरोप और अफ्रीकी देशों को अपनी जद में लेने वाली परमाणु-सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का गुरुवार देर शाम सफल रात्रि परीक्षण किया।

पांच हजार किलोमीटर से अधिक दूरी तक लक्ष्य को भेदने में सक्षम मिसाइल की नई तकनीकों और उपकरणों को मान्य करने के लिए यह परीक्षण किया गया है। इस परीक्षण ने अग्नि-5 मिसाइल की मारक क्षमता बढ़ाने की क्षमता को साबित कर दिया है। सबसे शक्तिशाली और गेम चेंजर अग्नि-5 को सेना में शामिल करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

भारत ने इससे पहले 27 अक्टूबर को परमाणु सक्षम अग्नि-5 मिसाइल का पहला उपयोगकर्ता परीक्षण करके इतिहास रच दिया था। भारत को अग्नि-1 मिसाइल से लेकर अब अग्नि-5 मिसाइल तक का सफर पूरा होने में 20 साल लगे हैं। 2002 में लॉन्च हुई मध्यम रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-1 की मारक क्षमता 700 किलोमीटर थी और इससे 1000 किलो तक के परमाणु हथियार ढोए जा सकते थे। उसके बाद अग्नि-2, अग्नि-3 और अग्नि-4 मिसाइलें आईं। ये तीनों इंटरमीडिएट रेंज की बैलिस्टिक मिसाइलें थीं, जिनकी मारक क्षमता 2000 से 3500 किलोमीटर है। अब भारत ने 5,000 किलोमीटर रेंज की अग्नि-5 का पहला परीक्षण करके दुश्मनों को खौफ में डाल दिया है।

रक्षा सूत्रों के अनुसार 5,000 किमी. रेंज की यह मिसाइल एक लॉन्च में कई लक्ष्यों को नष्ट करने की क्षमता रखती है। अग्नि-5 के बाद भारत की गिनती उन 8 देशों में हो गई है, जिनके पास इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल यानी आईसीबीएम है। चीन-पाकिस्तान समेत यूरोप और अफ्रीकी देशों को अपनी जद में लेने वाली यह मिसाइल अभी सेना और वायुसेना को नहीं मिली है लेकिन इससे पहले ही चीन में खौफ पैदा हो गया है। चीन की चिंता इसलिए भी है, क्योंकि पांच हजार किलोमीटर की दूरी तक मार करने में सक्षम मिसाइल की रेंज में उसका पूरा देश आ रहा है। चीन का ऐसा कोई शहर नहीं है, जो इस मिसाइल के रेंज में न हो।

रक्षा सूत्रों ने कहा कि अग्नि-5 मिसाइल का आज किया गया परीक्षण इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह कई वारहेड ले जाने में सक्षम मल्टीपल इंडिपेंडेंट रीएंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) से लैस है। इस तकनीक से मिसाइल को प्रक्षेपण के बाद कई अलग-अलग लक्ष्यों तक परमाणु हथियारों को स्वतंत्र तरीके से भेजा जा सकता है। आज का परीक्षण नई तकनीकों और उपकरणों को मान्य करने के लिए किया गया है। इस परीक्षण ने अग्नि-5 मिसाइल की मारक क्षमता बढ़ाने की क्षमता को साबित कर दिया है। इस मिसाइल का 2018 में हैट्रिक प्री-इंडक्शन ट्रायल किया गया था।

डीआरडीओ के अनुसार लगभग 17 मीटर लंबी, 2 मीटर चौड़ी, तीन चरणों वाली ठोस ईंधन वाली मिसाइल 1.5 टन का पेलोड ले जा सकती है और इसका वजन लगभग 50 टन है। अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन, फ्रांस, इजरायल और उत्तर कोरिया के बाद भारत अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल रखने वाला आठवां देश हो गया है। अग्नि-5 मिसाइल का इस्तेमाल बेहद आसान है। इसे जल, थल और नभ में कहीं से भी दागा जा सकता है। देश के किसी भी कोने में इसे तैनात कर सकते हैं जबकि किसी भी प्लेटफॉर्म से युद्ध के दौरान इसकी मदद ली जा सकती हैं।

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