देवी कुष्मांडा की पूजा से अनाहत चक्र जागृत होने के साथ ही समस्त रोग होते हैं दूर : उपाध्याय
गन्नौर। नगरपालिका रोड पुष्प वर्ल्ड स्कूल के निकट चल रही 9 दिवसीय नवदुर्गा अमृत कथा के चौथे दिन कथा वाचक राकेश उपाध्याय ने मां दुर्गा के कुष्मांडा रूप की महिमा का वर्णन किया। राकेश उपाध्याय के सान्निध्य में पहले भक्तों ने मां दुर्गा की पूजा अर्चना की। इसके बाद देवी कुष्मांडा के बारे में कथावाचक राकेश उपाध्याय ने बताया कि देवी कुष्मांडा का रूप अदभुत हैं। इनकी आठ भुजाएं होने के कारण उन्हें अष्टभुजा के नाम से भी जाना जाता है। देवी सूर्यलोक में निवास करती हैं। सूर्यलोक में निवास करने के कारण सूर्य की भांति तेजवान हैं। सभी दिशाएं इन्ही से आलोकित होती हैं और सभी प्राणियों में इनका तेज विद्यमान है। उन्होंने बताया कि इस चतुर्थ रूप में मां ने अपने उदर से ब्रह्मांड को पैदा किया था। इनकी पूजा से हमारा अनाहत चक्र जागृत होता है। इनकी उपासना से समस्त रोग और शोक दूर हो जाते हैं। भक्तों को आयु, बल और यश आदि प्राप्त होते हैं। देवी कूष्मांडा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक नष्ट हो जाते हैं। नवरात्र पर के चौथे दिन देवी कूष्मांडा को माल पुआ का भोग लगाया जाता है और दान दिया जाता है, जिससे भक्तों की सभी समस्याओं का निदान हो जाता है। देवी कूष्मांडा की महिमा का गुणगाण करने के बाद श्याम बाबा भजन संध्या भी की गई। जिसमें श्याम बाबा के भजनों पर श्रद्धालु झूमने को मजबूर हो गए। कथा की व्यवस्था में राजेश चौहान, राजीव राय, प्रवेश मदान, गौरव शास्त्री सहित अन्य सहयोग कर रहे हैं।