मिल्ट्री बेस पर हमला किया तो वे 6 दिन तक बंकर में छिपे रहे, खाने को कुछ नही मिला, युक्रेन से आए छात्र की जुबानी…
इंडियन अम्बेसी ने युक्रेन में नही की कोई सहायता, बार्डर पर आने पर नही हुई परेशानी
गन्नौर। युक्रेन में हुए हमले के बाद गन्नौर के कई छात्र फंसे हुए थे। अब धीरे- धीरे करके वे अपने घर पहुंच रहे हे। शनिवार को गुमड़ गांव का शुकश पहल अपने घर पहुंच गया। परिजनों ने आते ही अपने लाडले को गले लगाया और हाल-चाल पूछा। शुकश खारकी युक्रेन में एमबीबीएस का द्वितीय वर्ष का छात्र है।
मिल्ट्री बेस पर हमला किया तो वे 6 दिन तक बंकर में छिपे रहे, खाने को कुछ नही मिलाशुकश पहल ने बताया कि 23 फरवरी को युक्रेन में जब बम हमला हुआ तो वे खारकी में थे। वहां मिल्ट्री बेस पर हमला हुआ और वे डर के मारे बंकर में 23 फरवरी से 28 फरवरी तक बंकरों में रहे। खाने पीने को कोई व्यवस्था नही थे। अपने साथ जो बिस्कुट ले गए थे, उसी से काम चलाया। उसके बाद हिम्मत नही हारी और 1 मार्च को पौलेंड जाने के लिए बंकर से निकल लिए। उसके बाद ट्रेन से लिवि शहर पहुंचे वहां से 20 बच्चों के साथ टैक्सी की और पौलेंड पहुंचे। वहां उन्हें बार्डर से पहले 2 किलोमीटर की दूरी पर उतार दिया। वहां से पैदल बार्डर गए। वहां युक्रेन की सेना व पुलिस ने बतमीजी की। वहां की सेना भारतीयों को पीछे हटाकर वहां के आम लोगों को आगे जाने दे रहे थे और भारत के युवाओं को पीछे कर रहे थे। बार्डर पर उन्हें 10 घंटे लगे। उसके बाद पौलेंड बार्डर क्रास किया। इसके बाद 2 मार्च को इंडियन अम्बेसी ने पौंलेड के शहर रिजु जु गए। 3 मार्च को इंडियन एयरफोर्स की फ्लाईट गाजीयाबाद लेकर आई।
भारतीय अम्बेसी द्वारा नही दी गई कोई सुविधा- शुकश पहल ने बताया कि भारतीय अम्बेसी द्वारा युक्रेन में उन्हें कोई सहायता दी गई। जब कि उन्होंने कई बार अम्बेसी में फोन किया। कई बार तो रिसिव नही किया। इस कारण में युक्रेन में फंसे रहे। अपनी जान पर खेलकर वहां से खुद निकले है। पौलेंड पहुंचने के बाद भारतीय अम्बेसी ने उनसे सम्र्पक किया।