राष्ट्रीय

हाई कोर्ट ने अनिल अंबानी के खिलाफ आयकर विभाग को 17 नवंबर तक कार्रवाई करने से रोका

मुंबई, 26 सितंबर। बांबे हाई कोर्ट ने सोमवार को रिलायंस समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी के खिलाफ आयकर के नोटिस पर 17 नवंबर तक कार्रवाई न करने का आयकर विभाग को आदेश दिया है।

दरअसल, आयकर विभाग ने 8 अगस्त को अनिल अंबानी को कथित तौर पर 420 करोड़ रुपये की कर चोरी के एक मामले में नोटिस भेजा था। आयकर ने उनके स्विस बैंक खाते में जमा 814 करोड़ रुपये में 420 करोड़ रुपये की कर चोरी का आरोप लगाया है। आयकर विभाग ने अनिल अंबानी को भेजे नोटिस में कहा कि विदेशी बैंकों में जमा संपत्ति की जानकारी जानबूझकर विभाग को नहीं दी गई। इस स्थिति में अनिल अंबानी पर काला धन अधिनियम की धारा 50 और 51 के तहत मुकदमा क्यों नहीं चलाया जाना चाहिए। काला धन अधिनियम में दोषी पाए जाने पर 10 साल के कारावास का प्रावधान है ।

अनिल अंबानी ने आयकर के इस नोटिस के विरुद्ध बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस याचिका पर सोमवार को हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति एसवी. गंगापुरकर और आरएन लड्ढा के बेंच के समक्ष सुनवाई हुई। अनिल अंबानी ने कोर्ट को बताया कि यह अधिनियम 2015 में अस्तित्व में आया, जबकि जिस धन और लेनदेन के संबंध में नोटिस जारी किया गया था, वह वर्ष 2006-07 और 2010-11 के बीच के हैं। अत: यह अधिनियम इस प्रकरण में लागू ही नहीं होता।

आयकर विभाग ने अनिल अंबानी की याचिका पर जवाब देने के लिए हाई कोर्ट से समय मांगा है। इस पर संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 17 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी है और तब तक आयकर विभाग को अनिल अंबानी के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है।

बताया जा रहा है कि आयकर विभाग ने यह नोटिस अनिल अंबानी को ब्लैक मनी एक्ट के तहत भेजा है। जुलाई 2010 में ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में पंजीकृत कंपनी ने ज्यूरिख में बैंक ऑफ साइप्रस में एक खाता खोला। आयकर विभाग का आरोप है कि अनिल अंबानी की कंपनी और उसके उस पंजीकृत कंपनी के फंड के अंतिम लाभकारी मालिक हैं। इस कंपनी ने 2012 में बहामास में पंजीकृत कंपनी पूसा से 10 मिलियन डॉलर प्राप्त किए। इसके लाभार्थी अनिल अंबानी थे। टैक्स अधिकारियों के मुताबिक, दो स्विस बैंक खातों में कुल 814 करोड़ रुपये हैं, जिस पर 420 करोड़ रुपये का टैक्स लगता है, जो अनिल अंबानी ने भारतीय आयकर विभाग को नहीं दिए हैं।

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