उत्तर प्रदेश

 पुडुचेरी बिजली विभाग के निजीकरण के विरोध में पूरे प्रदेश में इंजीनियर व कर्मियों की सभा

लखनऊ, 01 अक्टूबर। केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी के बिजली विभाग के निजीकरण की प्रक्रिया के विरोध में उप्र में भी बिजली कर्मचारियों व इंजीनियरों ने विरोध सभा की। पूरे प्रदेश में कर्मचारियों ने विरोधसभा कर जल्द निजीकरण को समाप्त करने की मांग की।

लखनऊ में राणा प्रताप मार्ग स्थित हाइडिल फील्ड होस्टल में हुई विरोध सभा में सैकड़ों बिजली कर्मियों ने हिस्सा लिया। सभा को सम्बोधित करते हुऐ संघर्ष समिति के प्रमुख पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, सदरुद्दीन राना, पी के दीक्षित, सुहेल आबिद, चन्द्र भूषण उपाध्याय, मो इलियास, महेन्द्र राय ने बताया कि केंद्र सरकार के निर्देश पर पुडुचेरी के बिजली विभाग के निजीकरण हेतु बिडिंग प्रक्रिया प्रारंभ करने हेतु 27 सितंबर को आरएफपी जारी की गई, जिसके विरोध में पुडुचेरी के तमाम बिजली कर्मचारी और इंजीनियर 28 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। पुडुचेरी के बिजली कर्मियों की मांग है कि निजीकरण की प्रक्रिया निरस्त की जाए और आरएफपी डॉक्यूमेंट वापस लिये जायें।

उन्होंने बताया कि पुडुचेरी का बिजली विभाग मुनाफे में चल रहा है और पुडुचेरी की बिजली हानियां मात्र 11.5 प्रतिशत है जो केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मापदण्ड 15 प्रतिशत से कम है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने सितंबर 2020 में निजीकरण हेतु स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट का ड्राफ्ट जारी किया था जिसे केंद्र सरकार ने अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्युमेंट फाइनल किए बिना किस आधार पर पूरे बिजली विभाग का निजीकरण किया जा रहा है। इसके अलावा केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2022 विगत मानसून सत्र में लोकसभा में प्रस्तुत कर दिया है, जिसे बिजली मामलों की संसद की स्टैंडिंग कमिटी को संदर्भित कर दिया गया है। ऐसी स्थिति में जब स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट को अंतिम रूप नहीं दिया गया हो और इलेक्ट्रिसिटी(अमेंडमेंट) बिल 2022 स्टैंडिंग कमिटी के सामने विचार हेतु भेज दिया गया हैद्ध तब पुडुचेरी के बिजली विभाग का 100 प्रतिशत निजीकरण किस आधार पर किया जा रहा है और इसका औचित्य क्या है। उन्होंने बताया कि आज देश भर के बिजली कर्मियों ने पुडुचेरी के बिजली कर्मियों के समर्थन में सभी प्रान्तों में प्रदर्शन कर बिजली कर्मियों की एकजुटता का परिचय दिया है।

उन्होंने मांग की कि उपरोक्त परिस्थितियों को देखते हुए पुडुचेरी के बिजली विभाग के निजीकरण का प्रस्ताव रद्द किया जाए और निजीकरण हेतु जारी किए गए आरएफपी डॉक्यूमेंट वापस लिए जाएं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शांतिपूर्ण ढंग से हड़ताल कर रहे पुडुचेरी के बिजली कर्मियों का दमन करने की कोई कोशिश की गई तो इसकी गंभीर प्रतिक्रिया होगी और देश भर के बिजली कर्मचारी और इंजीनियर इसके विरोध में सड़क पर उतरकर आंदोलन करने हेतु बाध्य होगी जिसकी सारी जिम्मेदारी केंद्र सरकार की होगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker