‘शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में उभरती प्रवृत्तियां’ विषय पर कार्यशाला आयोजित
प्रयागराज, 10 नवम्बर। डॉ. बी.आर अम्बेडकर विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के इंस्ट्रक्टर डिजाइनर डॉ. दीपक बिसला ने कहा कि ई-कन्टेन्ट और ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर के माध्यम से कॉपीराइट को मुक्त कर यूजर अपने सोर्स कोड को प्राप्त कर उसे अपनी जरूरत के अनुसार सुधार कर सकता है एवं नये फीचर भी जोड़ सकता है।
उक्त विचार गुरुवार को ईश्वर शरण पीजी कॉलेज में भारत सरकार, शिक्षा मंत्रालय के उपक्रम संकाय विकास केन्द्र एवं टी.एन.बी कॉलेज, भागलपुर, बिहार के संयुक्त तत्वावधान में ‘शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में उभरती प्रवृत्तियां’ विषय पर सात दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला के दूसरे दिन डॉ. बिसला ने व्यक्त किया। उन्होंने यह भी कहा कि सर्च कोड का प्रयोग करके नया उत्पाद विकसित कर बेचा भी जा सकता है। उन्होंने शिक्षण में प्रयुक्त होने वाले विभिन्न आधुनिकतम टूल्स और तकनीक पर चर्चा की। प्रतिभागियों ने ई-कन्टेंट का निर्माण करने के साथ-साथ उसको अपलोड करने का तरीका भी सीखा।
दूसरे सत्र में इग्नू, नई दिल्ली की डॉ. मैथिली ने ओ.ई.आर के माध्यम से टीचिंग, लर्निंग एवं इवैल्यूएशन पर चर्चा करते हुए कहा कि मुक्त शैक्षणिक स्रोतों के माध्यम से ही अध्यापक शिक्षा का समृद्धिकरण सम्भव है। शैक्षणिक दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है। बदलती दुनिया में कठिनाइयां भी आ रही हैं। इसलिए बड़े पैमाने पर ऑनलाइन पाठ्यक्रम एक बेहतर प्लेटफार्म है। मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी डॉ. मनोज कुमार दुबे ने बताया कि कार्यक्रम संयोजक डॉ. प्रदीप सक्सेना, सह संयोजक डॉ. जमील अहमद व सह संयोजक डॉ. शिवजी वर्मा के साथ-साथ काफी संख्या में प्रतिभागीगण मौजूद रहे।