हिसार: दो दोस्तों ने शुरू की धर्म के प्रचार-प्रसार की मुहिम अब पकड़ने लगी जोर
‘बिश्नोई समाज संस्कार परीक्षा’ को समाज में मिल रहा अभूतपूर्व समर्थन
हिसार बिश्नोई समाज के बच्चों में जागरूकता लाने, उन्हें श्री गुरू जम्भेश्वर भगवान के धर्म-नियमों से अवगत करवाकर धर्म का अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार करने के लिए शुरू की गई ‘बिश्नोई समाज संस्कार परीक्षा’ के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। शुरूआती दिनों में जहां आयोजकों को बिश्नोई साहित्य अपने पास से पुरस्कार स्वरूप देना पड़ता था, वहीं आज समाज के प्रबुद्ध नागरिकों के सहयोग व उनके दान से आयोजकों के पास बिश्नोई साहित्य प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
बिश्नोई समाज संस्कार परीक्षा के आयोजक रिटायर्ड जेडएमईओ पृथ्वी सिंह गिला एवं अभियोजन विभाग हरियाणा के पूर्व निदेशक बनवारी लाल बिश्नोई ने समाज के नागरिकों द्वारा दिए जाए साहित्य के दान व सहयोग पर उनका आभार जताया है। उन्होंने कहा कि यह ऐसा मार्ग है, जिसकी सफलता सबके सहयोग पर ही निर्भर है। यह सहयोग साहित्य का दान, परीक्षा करवाने में सहयोग से लेकर उत्साहवर्धन तक किसी तरह का हो सकता है। आयोजक जब परीक्षा करवाते हैं तो दानदाताओं का दिया हुआ जाम्भाणी साहित्य ही परीक्षार्थियों में पुरस्कार स्वरूप वितरित किया जाता है। उन्होंने बताया कि दानदाताओं के सहयोग से अब तक 2450 सबदवाणी, 1300 जम्भसागर, 300 सुक्ति सागर और 800 जाम्भाणी बालपोथी मिलाकर कुल 4850 पुस्तकें आई है।
पृथ्वी सिंह गिला ने बताया कि जांभाणी साहित्य वितरित करने की शुरुआत 12 दिसंबर 2021 को हिसार के श्री गुरू जम्भेश्वर मंदिर से हुई। पृथ्वी सिंह गिला ने बच्चों की संस्कार परीक्षा ली जिसमें 100 सबदवाणी व 50 जम्भसागर बांटने की शुरुआत की। बाद में यह सिलसिला चलता गया और समाज के गणमान्य व्यक्तियों के सहयोग से इस समय समाज के बच्चों को वितरित करने के लिए प्रचुर मात्रा में साहित्य उपलब्ध है। उनकी एक ही अपील है कि प्रत्येक बिश्नोई गांव में सामाजिक कार्यकर्ता आगे आएं और यह परीक्षा करवाएं। पृथ्वी सिंह गिला बताते हैं कि धर्म का प्रचार-प्रसार करके उन्हें खुशी मिलती है। इस कार्य में समाज के नागरिकों का उन्हें व्यापक सहयोग मिल रहा है। खास बात यह है कि अब जांभाणी हरिकथा ज्ञान यज्ञ के दौरान स्मृति चिन्ह के तौर पर जम्भसागर दिया जाने लगा है, जो अच्छी पहल है।