कश्मीर में शुरू हुआ एक नया दौर
-डॉ. श्रीनाथ सहाय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘पंचायती राज दिवस’ को इस बार सांबा, जम्मू की पल्लू पंचायत में मनाया। प्रधानमंत्री ने समूचे जम्मू-कश्मीर को संबोधित किया। इसमें कोई दो राय नहीं है कि जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र अपनी जड़ों तक पहुंच गया है। वहां पहली बार पंचायती राज, अपने संपूर्ण संदर्भों के साथ, स्थापित हुआ है। जम्मू-कश्मीर में 30,000 से ज्यादा जन-प्रतिनिधि पंचायतों में चुनकर आए हैं। जानकारों के माने तो जम्मू-कश्मीर पर पीएम मोदी की शुरू से ही पैनी नजर रही है। वे अनुच्छेद 370 की समाप्ति से पहले वहां के हालात से वाकिफ हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर की आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है। सुरक्षा का परिदृश्य भी काफी हद तक बदल चुका है। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म करने और केंद्र शासित प्रदेश का विशेष दर्जा रद्द किए जाने के बाद पहली बार प्रधानमंत्री का यह दौरा था।
अब जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र के साथ विकास की संभावनाएं साफ तौर पर दिखाई दे रही हैं। यह संघशासित क्षेत्र आगामी 25 सालों में विकास की नई गाथा लिखेगा, इसमें कोई दो राय नहीं है। धरती के स्वर्ग में धारा 370 हटने के बाद काफी कुछ बदला है। पर्यटन के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति दर्ज की जा रही है, एक रिपोर्ट के अनुसार अगली गर्मियों तक सभी बुकिंग हो चुकी हैं। उम्मीद है कि लाखों सैलानी कश्मीर जाएंगे, तो वहां का कारोबार भी चमकेगा और राजस्व भी हासिल होगा। ऐसे बदलते कश्मीर में प्रधानमंत्री ने 20,000 करोड़ रुपए की सौगातें दी हैं। शिलान्यास के साथ शुभारंभ भी किए गए हैं। बेहद महत्त्वपूर्ण बनिहाल-काजीगुंड सुरंग का उद्घाटन किया गया, जिससे जम्मू और श्रीनगर की दूरी करीब 2 घंटे कम हो जाएगी। ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला को लिंक करने वाला ऑर्क ब्रिज भी जल्द ही देश को मिलेगा।
प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर के लिए दो पनबिजली परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी, तो 7500 करोड़ रुपए की लागत वाले दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेस-वे का भी शिलान्यास किया। इससे मां वैष्णो देवी के धाम तक पहुंचने में सुविधा होगी। प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की है कि बहुत जल्द कन्याकुमारी की देवी को वैष्णो देवी धाम से जोड़ा जाएगा। देश आजादी की 75वीं सालगिरह मना रहा है, तो 75 ‘अमृत सरोवर’ बनाए जाएंगे। उनके जरिए स्वतंत्रता सेनानियों और ‘क्रांतिवीर शहीदों’ के परिवारों को जोड़ा जाएगा। सांबा में 108 जन औषधि केंद्रों की शुरुआत की जाएगी, ताकि आम आदमी को सस्ती दवाएं उपलब्ध हो सकें।
नए कश्मीर में नए निवेश की घोषणा स्पष्ट संकेत है कि निजी कंपनियां निवेश कर रही हैं। प्रधानमंत्री के साथ संयुक्त अरब अमीरात के बिजनेस लीडर भी मौजूद थे। वे जम्मू-कश्मीर में 3000 करोड़ रुपए का निवेश करना चाहते हैं। प्रधानमंत्री ने यह भी दावा किया कि बीते दो सालों में ही 38,000 करोड़ रुपए का निवेश किया जा चुका है, जबकि आजादी के बाद सात दशकों के दौरान 17,000 करोड़ रुपए का ही निवेश किया गया था। बहरहाल प्रधानमंत्री ने खासकर युवाओं का आह्वान करते हुए कहा है-‘मेरे शब्दों पर भरोसा रखिए। मैं हर तरह की दूरियां मिटाने आया हूं।’ प्रधानमंत्री की घोषणाओं और दावों पर उनके राजनीतिक विरोधी संदेह और सवाल कर सकते हैं, लेकिन हम इन्हें नए विकास और नई लोकतांत्रिक धारा की नई शुरुआत मान रहे हैं। परिसीमन की प्रक्रिया भी आखिरी चरण में है। मई की शुरुआत में ही आयोग की रपट आना प्रस्तावित है। उसके बाद विधानसभा चुनावों की गहमागहमी शुरू होगी।
लोकतंत्र का एक और निर्णायक अध्याय आरंभ होगा। जम्मू-कश्मीर की विधानसभा बहाल होगी। राज्य शेष भारत के कानूनों से जुड़ चुका है और मुख्यधारा से जुडने की गति विधानसभा बनने के बाद शुरू होगी। प्रधानमंत्री के इस देशव्यापी आयोजन के अर्थ राजनीतिक भी हैं, लेकिन उसे भी लोकतंत्र से ही जोड़ा जाएगा। बेशक कश्मीर का चेहरा बदलना है। अब वह कश्मीर नहीं चाहिए, जिसे भारत-विरोधी बना रखा गया था। दो-दो ध्वज थे और केंद्रीय कानूनों को लागू नहीं किया जा सकता था। अनुच्छेद
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से न केवल देश में आतंकी मामलों और हिंसा की घटनाओं में कमी आई है, बल्कि जम्मू-कश्मीर में रोजगार सृजन के लिए निवेश प्रस्तावों में भी तेजी आई है। पिछले एक साल में 52,155 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव आए हैं। टीओआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 11 अप्रैल 2022 तक प्राप्त निवेश आवेदन केंद्र शासित प्रदेश में 2.विनत लाख रोजगार के अवसर पैदा करना चाहते हैं। जम्मू और कश्मीर दोनों संभागों में प्रमुख इकाइयों की स्थापना के लिए मांगी गई कुल 29,0322 कनाल के मुकाबले लगभग 17,970 कनाल भूमि पहले ही आवंटित की जा चुकी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि होटल और रेस्तरां, स्वास्थ्य और सामाजिक कार्य क्षेत्रों ने अकेले कश्मीर में कुल 5,193 करोड़ रुपये का निवेश किया है। स्टील फैब्रिकेशन, मनोरंजन, वेयरहाउसिंग और कोल्ड स्टोरेज, स्पोर्ट्स, इकोटूरिज्म और हस्तशिल्प जैसे अन्य क्षेत्रों के मामले में जम्मू संभाग के लिए कुल 5,146 करोड़ रुपये और कश्मीर के लिए 2,157 करोड़ रुपये के प्रस्ताव हैं। 3,164 कनाल में, कश्मीर में आवंटित भूमि का अब तक का सबसे बड़ा हिस्सा खाद्य प्रसंस्करण और होटल क्षेत्र के लिए है।
इस बीच आतंकी मोर्चे पर मामलों की संख्या में काफी गिरावट आई है। वर्ष 2018 में रिपोर्ट की गई 417 की तुलना में 2021 में आतंक से संबंधित घटनाओं की संख्या 229 थी, जो पिछले तीन वर्षों में 38 प्रतिशत की गिरावट का संकेत है। 2019-2021 की अवधि में, 2014-2019 की अवधि में आतंक से संबंधित घटनाओं में मारे गए 178 सैनिकों और 177 नागरिकों की तुलना में 46 सैन्य कर्मियों और 87 नागरिकों की जान चली गई।
प्रधानमंत्री द्वारा कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन करने और यूएई प्रतिनिधिमंडल के दौरे से स्थानीय राजनीतिक दलों को भी आगामी चुनाव में लोगों का समर्थन पाने के लिए अपने रुख में बदलाव लाने को मजबूर होना पड़ेगा। पाकिस्तान जानता है कि वह कश्मीर में विफल हो रहा है। उसकी हताशा तब दिखी, जब उसने प्रधानमंत्री की रैली को बाधित करने के लिए आतंकियों की घुसपैठ कराई। आशंका है कि हताशा में पाकिस्तानी सेना घाटी में निर्दोष लोगों पर हमले करने की कोशिश करेगी, ताकि यह दिखाया जा सके कि उनके पास अब भी समर्थन है। सरकार द्वारा शुरू की गई जन हितैषी परियोजनाएं इस क्षेत्र को आगे बढ़ाएंगी। इस केंद्र शासित प्रदेश के लिए निवेश योजनाएं शुरू हो गई हैं और इन्हें रोका नहीं जा सकता, चाहे आगामी चुनावों में कोई भी सरकार सत्ता में आए। कश्मीर का विकास जारी रहेगा, और इसके सुरक्षा परिदृश्य में सुधार होगा। प्रधानमंत्री मोदी के ही शब्दों में उनकी मंशा है कि ‘दूरियां, चाहे दिल की हों, भाषा की हों, रीति-रिवाजों की हों या संसाधनों की, उन्हें खत्म करना आज हमारी बहुत बड़ी प्राथमिकता है।’
370 के बाद कई पाबंदियां तोड़ दी गई हैं। अब कश्मीर में भी ‘तिरंगा’ लहराया जाता है। सवाल है कि नए कश्मीर में, नए निवेश और नई सियासत के साथ नए अवसर पैदा होंगे अथवा नहीं? वैसे प्रधानमंत्री ने दावा किया है कि कश्मीर में 2.40 लाख रोजगार के अवसर सृजित होंगे। नौकरियों और भर्तियों की स्थिति क्या होगी, वह भी देखनी है। कुछ नई शुरुआत की गई हैं, जिनकी घोषणा प्रधानमंत्री मोदी ने की। आतंकवाद अब भी मोदी और भारत सरकार के लिए गंभीर चुनौती है। जिस दिन यह खूबसूरत आयोजन जम्मू में किया गया, उसी दिन कश्मीर में सुरक्षा बलों को लश्कर के आतंकियों के साथ मुठभेड़ करनी पड़ी। तीन आतंकियों को ढेर कर दिया गया, लेकिन इस बिंदु पर भी अब कारगर होने की जरूरत है कि बचे-खुचे पाकपरस्त आतंकवाद का खात्मा कैसे करना है।