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शेयर बाजार के लिए निगेटिव सेंटिमेंट वाला महीना बन रहा है अप्रैल, सेंसेक्स 4432 अंक तक लुढ़का

नई दिल्ली।

अप्रैल का महीना घरेलू शेयर बाजार के लिए लगातार दबाव वाला महीना बनता नजर आ रहा है। 4 अप्रैल को सेंसेक्स 60 हजार अंक का आंकड़ा पार करके 60,845.10 अंक के स्तर तक पहुंचा था। लेकिन उसके बाद से अभी तक इस सूचकांक में 4,432 अंक तक की गिरावट आ चुकी है। आज सेंसेक्स 56,412.14 अंक के न्यूनतम स्तर तक जा चुका है।

हालांकि इस महीने मैक्रो-इकोनॉमिक डाटा में सुधार होने और रूस-यूक्रेन जंग के बीच शांति स्थापित होने की संभावना को लेकर बाजार में कुल पांच कारोबारी दिनों में उछाल की स्थिति भी नजर आई है, लेकिन ओवरऑल ये महीना घरेलू शेयर बाजार के लिए नेगेटिव सेंटिमेंट्स वाला महीना ही साबित होता हुआ नजर आ रहा है।

घरेलू शेयर बाजार के जानकारों का मानना है कि यूएस फेडरल रिजर्व के गवर्नर लाइल बेनार्ड की ओर से ब्याज दरों को सख्त किए जाने की टिप्पणी, रूस और यूक्रेन युद्ध की अनिश्चितता और दुनिया के अधिकांश देशों में लगातार बढ़ रही महंगाई के कारण वैश्विक स्तर पर कारोबारी जगत को नेगेटिव सेंटिमेंट्स का सामना करना पड़ रहा है। इसका असर दुनिया भर के शेयर बाजारों के साथ ही घरेलू शेयर बाजार पर भी नकारात्मक रूप में पड़ा है, जिसकी वजह से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक लगातार बिकवाली करके अपना पैसा निकालने की कोशिश में लगे हुए हैं। बिकवाली का ये दबाव घरेलू शेयर बाजार को लगातार नीचे गिरने के लिए मजबूर कर रहा है।

धामी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट प्रशांत धामी के अनुसार दुनिया भर के निवेशक शेयर बाजार में अभी बड़ा दांव चलने से हिचक रहे हैं। कारोबारी जगत रूस और यूक्रेन युद्ध के असर को रोज नए सिरे से आंकने की कोशिश कर रहा है। बाजार के कमजोर होने की वजहों में रूस-यूक्रेन युद्ध तो अहम है ही, इसके साथ ही कारोबारी जगत के सामने महंगाई को थामने के लिए यूएस फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने की आशंका भी बनी हुई है। इसके अलावा कमोडिटीज और तेल की कीमत में तेजी तथा शिपिंग से जुड़ी परेशानियों के कारण दुनिया भर में सप्लाई चेन प्रभावित हुई है।

दूसरी ओर चीन की इकोनॉमी एक बार फिर कोरोना के प्रकोप से जूझती नजर आने लगी है। इन तमाम वजहों से दुनिया भर के कारोबार में हर कारोबारी सतर्क हो गया है। ऐसी स्थिति में पूंजी का निवेश सिर्फ उन्हीं सेक्टर में प्रमुख रूप से हो रहा है, जिन सेक्टर के बिना आम जीवन का कामकाज ना चल सके। ऐसा होने की वजह से दुनिया भर के शेयर बाजारों की तरह ही भारतीय शेयर बाजार भी लगातार दबाव में काम कर रहा है। जिसके कारण यहां गिरावट का रुख बना हुआ है।

इसी तरह मार्कंडेय फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ एनालिस्ट वाईवी शर्मा का कहना है कि अमेरिका तथा यूरोपीय देशों द्वारा रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों को और कड़ा किए जाने की वजह से कई यूरोपीय देशों में खुद ही बदहाली की स्थिति बनने लगी है। इन यूरोपीय देशों में कुछ समय पहले तक रूस से ही कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस और कोयले की अधिकतम आपूर्ति की जाती थी। लेकिन उस पर आर्थिक प्रतिबंध लागू कर दिए जाने के बाद से इन देशों के सामने एनर्जी क्राइसिस की स्थिति बन गई है। इसका असर इन देशों के कारोबारी जगत पर भी पड़ा है, जिसने पूरी दुनिया के कारोबार पर गहरा असर डाला है।

इसी तरह चीन में कोरोना वायरस ने जिस तरह से एक बार फिर अपना कहर बरपाया है और वहां के प्रमुख फाइनेंशियल सेंटर शंघाई में लॉकडाउन लगाना पड़ा, उसकी वजह से भी कारोबारी जगत पर काफी प्रतिकूल असर पड़ा है। इन कारकों की वजह से दुनिया भर के शेयर बाजार दबाव में काम कर रहे हैं और इसका असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ रहा है।

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