हरियाणा

कैथल: 1965 में भारत-पाक जंग में शहीद हुए हरिचंद के परिवार से झंडे वितरण की शुरुआत

शहीद हरिचंद की पत्नी वीरांगना छोटो देवी को झंडा, शॉल और मिठाई भेंट कर लिया अशीर्वाद

कैथल, 5 अगस्त। आजादी के अमृत महोत्सव के तहत हर घर तिरंग उत्सव शुरुआत डीसी डॉ संगीता तेतरवाल ने भारत पाकिस्तान की 1965 में हुई जंग के दौरान शहीद हुए हरिजन के परिवार से की। डीसी ने उनकी पत्नी छोटो देवी को झंडा चाल और मिठाई भेंट की। डीसी ने शुक्रवार को कैथल के सैक्टर 20 में रही शहीद की पत्नी से आशीर्वाद भी लिया। हरिचंद 6 जाट बटालियन में जम्मु कश्मीर में तैनात थे और 1965 कर लड़ाई में जब अग्रिम मोर्चे पर पाकिस्तानी सेनाओं के साथ लड़ रहे थे। इस दौरान एक बम उनकी जांग पर लगा और वे देश के लिए शहीद हो गए।

डीसी डॉ. संगीता तेतरवाल ने कहा कि तिरंगा वितरण की शुरुआत एक शहीद के घर से की है। शहीद हरिचंद ने 1965 में हुए भारत-पाक युद्घ में देश के लिए अपने-आप को न्यौछावर कर दिया। सेना ने उन्हें सैन्य मैडल से भी सम्मानित किया और मरणोंपरांत यह सम्मान उनकी पत्नी वीरांगना छोटो देवी को मिला। पता चला है कि छोटो देवी के पोते, पोती और नाति सेना में बड़े अधिकारी हैं। यह हम सबके लिए बहुत बड़ी पे्ररणा है। डीसी ने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि वे अपने बुजुर्गों और पुरखों से जीवन चरित्र से सीख लेकर राष्ट्र सेवा के कार्य में बढ़-चढ़ कर भाग लें।

आगामी 13 से 15 अगस्त तक अपने-अपने घरों पर विधिवत रूप से स्वयं भी तिरंगा फहराएं और अन्य को भी तिरंगा फहराने के लिए जागरूक करें। डीसी डॉ. संगीता तेतरवाल सामाजिक परिवेश में झांकते हुए सामाजिक मूल्यों का विर्वाह करते हुए जब युद्घ वीरांगना छोटो देवी से मिली तो उन्होंने डीसी के सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया तथा चेहरे पर मुस्कान के साथ कहा कि बेटियों पर भी हामनै पूरा नाज सै। आज तो बेटियां खूब आगै बढ़री सैं। इस बात को आगे बढ़ाते हुए युद्घ वीरांगना छोटो देवी ने कहा कि मेरे पति ने देश के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी और तिरंगे का मान सम्मान बनाए रखा। उन्होंने यह भी कहा कि मेरी पोती तमन्ना नैन भी सेना में मेजर है। मेरा पोता कमल सिंह भी सेना में कैप्टन है। कई रिश्तेदार और नाति सेना में बड़े ओहदे पर सेवाएं दे रहे हैं। हमारा तो परिवार ही सैनिकों का है। शहीद के बेटे बदन सिंह बताते हैं कि मेरे पिता के जांबाज व्यक्तित्व और जीवन चरित्र से प्रेरणा लेकर पोता और पोती भी सेना में सेवाएं दे रहे हैं। आज बेटा-बेटी, दामाद और भतीजा सेना में अधिकारी हैं।

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