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इंदौर के विधि महाविद्यालय में विवादित पुस्तकों पर हंगामा, मामले में चार लोगों पर एफआईआर दर्ज

इंदौर, 03 दिसंबर। धार्मिक कट्टरता और भड़काऊ शिक्षा सहित हिंदू विरोधी विवादित किताब से पढ़ाई को लेकर शासकीय विधि महाविद्यालय में शनिवार को जमकर विवाद हुआ। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) और विद्यार्थियों ने हंगामा करते हुए प्राचार्य के इस्तीफे की मांग की। हंगामे के बाद प्राचार्य डॉ. ईनामुर्रहमान ने अपना इस्तीफा उच्च शिक्षा विभाग आयुक्त को भेज दिया। लगातार बदलते घटनाक्रम में इस मामले में भंवरकुआं थाना में लेखिका डॉ. फरहत खान, किताब के प्रकाशक अमर क्षेत्रपाल, प्राचार्य डॉ. इमामूल रहमान और प्राध्यापक मिर्जा मौज़िद- चारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इन सभी पर में धारा 153 (क), 295(क) 505 के तहत मामला दर्ज हुआ है। छात्र लकी आदिवाल ने इन सभी के खिलाफ केस दर्ज करवाया है।

गौरतलब है कि शासकीय विधि महाविद्यालय महाविद्यालय के छह प्रोफेसरों के खिलाफ गत दिनों संप्रदाय विशेष के खिलाफ विद्यार्थियों को भड़काने के मामले में प्रकरण दर्ज हुआ था। इसके बाद महाविद्यालय की लाइब्रेरी में अब विवादित पुस्तक मिली हैं। लेखिका डॉ. फरहत खान द्वारा लिखी पुस्तक (सामूहिक हिंसा एवं दांडिक न्याय पद्धति) में हिंदुओं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद के खिलाफ आपत्तिजनक अंश लिखे गए हैं। कुछ ऐसी पंक्तियां हैं, जिसमें हिंदुओं व हिंदूवाद से जुड़ी संस्थाओं को धर्म के आधार पर भड़काने का जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। इस मामले में अब शासन ने हस्तक्षेप किया है। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने विभाग के अपर मुख्य सचिव को मामले की जांच सौंपी है।

उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा है कि इंदौर के शासकीय विधि महाविद्यालय में धार्मिक कट्टरता फैलाने के मामले में छह शिक्षकों की भूमिका के साथ ही विवादित व आपत्तिजनक अंशों वाली पुस्तक की भी जांच की जाएगी। यह पुस्तक एक निजी प्रकाशन की बताई जा रही है। इन सभी मामलों में जो भी दोषी होंगे, उनके खिलाफ नियमानुसार कठोर कार्रवाई की जाएगी। इस बीच छात्र नेताओं ने भंवरकुआं थाने पहुंचकर आपत्तिजनक पुस्तक के मामले में एफआईआर दर्ज कराने की मांग करते हुए आवेदन भी दिया। कहा जा रहा है कि कॉलेज प्रबंधन ने इस पुस्तक को खरीदा था और यह पुस्तक वहां की लाइब्रेरी में उपलब्ध है।

गौरतलब है कि विधि महाविद्यालय के प्रोफेसरों पर हिंदू विरोधी गतिविधियां कराए जाने का आरोप है। इसे लेकर बीते गुरुवार को भी अभाविप ने प्रदर्शन किया था। इसके बाद कॉलेज प्रबंधन ने छह प्रोफेसर को पांच दिन के लिए कार्यमुक्त कर दिया था। परिषद के छात्र नेताओं का आरोप है कि महाविद्यालय के प्रोफेसर कॉलेज में कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने का विरोध करते थे, वहीं राष्ट्र और भारतीय सेना के विरोध की बातें भी करते थे। इसके अलावा प्रोफेसर कॉलेज की छात्राओं को अकेले में मिलने को कहते थे। इस पूरे मामले पर प्रदेश सरकार नाराज है। ऐसे में इन छह प्रोफेसरों का तबादला होना भी तय माना जा रहा है।

इधर, विधि महाविद्यालय की जिस किताब में आपत्तिजनक लेख मिले हैं, उसकी लेखिका डॉ. फरहत खान ने 16 मार्च 2021 को एक पत्र लिखकर माफी मांगी थी। उन्होंने अपने पत्र में लिखा था कि मेरे द्वारा लिखी पुस्तक सामूहिक हिंसा एवं दाण्डिक न्याय पद्धति, जिसे 2011 में लिखा गया था, में कुछ पेज अनजाने में आपत्तिजनक कथनों को समाहित किए हुए हैं। प्रकाशक के द्वारा इसे 2015 में मेरी जानकारी लाए बिना प्रकाशित किया गया है। फिर भी यदि इस पुस्तक में कुछ कथन यदि गलत एवं आपत्तिजनक हैं तो मैं आपसे आपके माध्यम से समस्त पाठकों से क्षमा प्रार्थी हूं कि मेरा किसी की किसी भी भावना को ठेस पहुंचाना मकसद नहीं था। अत: यदि इस पुस्तक में लिखी किसी बात से कोई आहत हुआ है तो मैं क्षमा प्रार्थी हूं।

विधि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. रहमान का कहना है कि छात्र नेताओं द्वारा की गई शिकायत व आरोपों पर निष्पक्ष जांच कराई जा रही है। शासन ने भी इस मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई है। कॉलेज प्रबंधन द्वारा जांच समिति को सारी जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी।

किताब में लिखे इन विवादित अंशों को लेकर मच रहा बवाल

सामूहिक हिंसा एवं दांडिक न्याय पद्धति नाम की पुस्तक में कई विवादित अंश हैं, जिन्हें लेकर बवाल मचा हुआ है। इनमें…

– हिंदू संप्रदाय विध्वंसकारी विचारधारा के रूप में उभर रहा है। विश्व हिंदू परिषद जैसा संगठन हिंदू बहुमत का राज्य स्थापित करना चाहता है। वह किसी भी बर्बरता के साथ हिंदू राज्य की स्थापना को उचित ठहराता है।

– हिंदुओं ने हर संप्रदाय से लड़ाई का मोर्चा खोल रखा है। पंजाब में सिखों के खिलाफ शिव सेना जैसे त्रिशूलधारी नए संगठन ने मोर्चा बना लिया है। पंजाब का सच आज यह है कि मुख्य आतंकवादी हिंदू हैं और सिख प्रतिक्रिया में आतंकवादी बन रहा है। कमाल यह है कि पहले मुसलमान चिल्लाया करते थे कि अल्पसंख्यक इस्लाम खतरे में है, पर आज हिंदू चिल्ला रहा है बहुसंख्यक हिंदू खतरे में हैं।

– आज हिंदू बहुसंख्यक, हिंदू अल्पसंख्यक मुसलमान पर अपनी इच्छा थोपने का काम कर रहा है। आज यही सांप्रदायिक संघर्ष का कारण बन रहा है। जब कांग्रेस सत्ता में आ गई और भाजपा मुख्य विरोधी दल बन गया तो राष्ट्रीय स्वयं संघ ने भाजपा को आदेश दिया कि दोनों ब्राह्मणवादी दल हैं और दोनों में ब्राह्मणों का प्रभुत्व है। भाजपा और कांग्रेस में सिद्धांतत: कोई अंतर नहीं है।

– जब धार्मिक स्थलों की 1947 की स्थिति कायम रखी जाएगी तो अयोध्या का मंदिर इस कानून की सीमा से क्यों बाहर किया गया। आरएसएस ने भाजपा को कांग्रेस का विरोध करने से रोका तो कांग्रेस को भी आदेश दिया कि अयोध्या का विवाद कानून से बाहर रखे ताकि भाजपा अपनी सांप्रदायिक राजनीति करती रहे।

– हिंदुओं के जितने भी सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक संगठन बने हैं, उनका एक मात्र उद्देश्य मुसलमानों का विनाश करना है और शूद्रों को दास बनाना है। हिंदू राजतंत्र का शासन वापस लाकर ब्राह्मणों को पृथ्वी का देवता बनाकर पूज्य बनाना है।

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