राष्ट्रीय

जेईई (एडवांस) में अभिजीत के गुवाहाटी जोन टॉपर बनते झूम उठा बिहार

बेगूसराय, 12 सितम्बर। जिले के लाल अभिजीत आनंद ने जेईई (एडवांस) में गुवाहाटी जोन में प्रथम और ऑल इंडिया रैंकिंग में 15वां स्थान लाकर अपनी मेधा का परचम बुलंद कर दिया है।

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मभूमि और बिहार केसरी डॉ. श्रीकृष्ण सिंह की कर्मभूमि बेगूसराय के मटिहानी प्रखंड के नयागांव निवासी राकेश कुमार के पुत्र अभिजीत आनंद ने जेईई (एडवांस) में गुवाहाटी जोन में प्रथम और ऑल इंडिया रैंकिंग में 15 वां स्थान हासिल किया है। 13 जून 2004 को पैदा हुए अभिजीत की प्राथमिक शिक्षा-दीक्षा भले पटना में हुई, लेकिन अपने लाल के इस सफलता से पूरा बेगूसराय गौरवान्वित है।

जेईई की परीक्षा देने के बाद अभिजीत आनंद को अपनी सफलता का एहसास था लेकिन उन्हें या उनके परिवार को यह उम्मीद नहीं थी कि पूरे गुवाहाटी आईआईटी जोन में प्रथम स्थान प्राप्त होगा। रिजल्ट जारी होने के बाद जब यह जानकारी मिली तो परिवार, समाज और जिला ही नहीं, राज्य भर में हर्ष का माहौल है। लॉकडाउन के कारण अपने घर में ही रहकर ऑनलाइन और ऑफलाइन पढ़ाई करने वाले अभिजीत को उत्कृष्ट सफलता मिली है।

इंडिया टॉपर आर.के. शिशिर को 360 में 314 अंक मिले, जबकि गुवाहाटी जोन टॉपर अभिजीत आनंद को 360 में 278 अंक मिले हैं। अब वे आईआईटी मुंबई से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करेंगे। मुंबई से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई पूरी करने के बाद विदेश से आगे की पढ़ाई की इच्छा है। लेकिन पढ़ाई पूरी करने के बाद वह भारत में ही सेवा देने की हसरत रखते हैं। उनके मन में भारत माता की सेवा का जज्बा और जोश है। इस सफलता से कुछ दिन पूर्व ही अभिजीत ने इंटरनेशनल ओलंपियाड में भी भारत के लिए सिल्वर जीता है।

दो भाई-बहन में छोटे अभिजीत ने बताया कि सफलता के पीछे परिजनों का सहयोग, स्नेह और अपनी सेल्फ स्टडी है। गुरुजनों ने जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी थी, उसका आज प्रतिफल मिला है। मन में अगर इच्छा शक्ति प्रबल हो तो कोई भी बाधा सामने नहीं आती और हर सफलता मिलती है, कोशिश करने वाले की कभी हार नहीं होती है। उनकी शुरू से ही आईआईटी से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की इच्छा थी।

जेईई की तैयारी करने का जब समय आया तो वैश्विक महामारी कोरोना ने दस्तक देकर घर बैठने को मजबूर कर दिया। लेकिन घर में ही रहकर उसने लगातार पढ़ाई की, डिजिटल इंडिया में ऑनलाइन पढ़ाई से काफी मदद मिला। जबकि ऑफलाइन पढ़ाई ने कॉन्फिडेंस दिया।

उनका कहना है कि सेल्फ स्टडी काफी कारगर होता है, अगर कोई छात्र पूरे मनोभाव से नियमित रूप से चार घंटे की पढ़ाई कर ले तो सफलता जरूर मिलती है। पिताजी राकेश कुमार सरकारी सेवा में थे और गृहणी मां आशा देवी ने समय पर पढ़ने के लिए घर में हरसंभव मदद की। फिलहाल अब आईआईटी मुंबई से कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई और रिसर्च करना है, इसके बाद अगली तैयारी की जाएगी।

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