सरकार ने किसानों की मांगे नहीं मानी तो संसद सत्र में उठाएंगे मुद्दा : दीपेन्द्र हुड्डा
बोले, प्रदेश में चल रही देश की सबसे कुख्यात व नामी किसान विरोधी सरकार
सांसद दीपेंद्र हुड्डा बालसमंद किसान धरने पर पहुंचे, मांगों का किया समर्थन
हिसार, 06 जुलाई । सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा है कि यदि प्रदेश सरकार ने किसानों की मांगे नहीं मानी तो आगामी लोकसभा सत्र के दौरान देश की सबसे बड़ी पंचायत में किसानों की आवाज उठाएंगे। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश में देश की सबसे कुख्यात और नामी किसान विरोधी सरकार चल रही है। दीपेन्द्र हुड्डा बुधवार को निकटवर्ती गांव बालसमंद में मुआवजे की मांग पर 56 दिनों से ज्यादा समय से जारी किसानों के धरने पर पहुंचकर उनको संबोधित कर रहे थे।
धरने को संमर्थन देते हुुए दीेपन्द्र ने किसानों की मांगों को जायज बताया और कहा कि इस भीषण गर्मी में इतनी बड़ी संख्या में किसान अग्निपरीक्षा दे रहे हैं, इससे स्पष्ट है कि उनकी मांगें जायज हैं। सरकार इनकी मांगे मानने में जरा भी देर न करे और तुरंत खरीफ 2020 एवं खरीफ 2021 का मुआवजा दे।उन्होंने कहा कि पूरे हरियाणा सहित इस इलाके की भावना भी धरने के साथ है। उन्होंने सरकार को चेताया कि 18 जुलाई से शुरु हो रहे संसद सत्र से पहले सरकार किसानों की मांगे मान लें, नहीं तो देश की सबसे बड़ी पंचायत में वो सरकार की पोल खोलेंगे।
दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि हरियाणा सरकार ये न भूले कि हरियाणा में मजबूत विपक्ष है। विधानसभा का मानसून सत्र शुरु होते ही इस मुद्दे पर विपक्ष द्वारा काम रोको प्रस्ताव लाया जायेगा। जब तक किसानों के मुआवजे की मांगों का समाधान नहीं होता विधानसभा में पूरा विपक्ष बालसमंद तहसील के साथ एकजुट खड़ा रहेगा। सरकार को किसानों की नैतिक ताकत के आगे झुकना ही पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि संसद में हरियाणा से कुल 15 सांसद हैं जिनमें 10 लोकसभा के और पांच राज्यसभा के हैं। इनमें 14 सांसद भाजपा के हैं और वो अकेले विपक्षी सांसद है फिर भी सरकार सच्चाई की इस अकेली आवाज़ को भी कम न आंके। उन्होंने कहा संसद के मानसून सत्र के पहले ही दिन बालसमंद तहसील के मुआवजे की मांग उठायी जायेगी। लोकतंत्र और संविधान में नैतिक अधिकार से वंचित करने पर संसद में और सड़क पर लड़ाई लड़ने के दो साधन दिये गये हैं। किसान आंदोलन के समय भी तानाशाही तौर-तरीकों पर चल रही सरकार को अहिंसा, शांति, अनुशासन व संयम से लड़ाई लड़कर किसानों ने झुकाने का काम किया और प्रचंड बहुमत वाली इस सरकार को तीनों कानून सरकार को वापस लेने पड़े। सांसद दीपेंद्र ने कहा कि जैसे किसान आंदोलन के समय लड़ाई लड़ी थी, वैसे ही बालसमंद तहसील के लिये विधानसभा से लेकर संसद तक लड़ाई लड़ेंगे।