नाबालिग लड़कियों की नीलामी की रिपोर्ट पर डीसीडब्ल्यू ने राजस्थान के मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
नई दिल्ली, 28 अक्टूबर। दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर राजस्थान में नाबालिग लड़कियों की नीलामी की रिपोर्ट पर कार्रवाई की मांग की है। डीसीडब्ल्यू ने एक मीडिया रिपोर्ट का संज्ञान लिया, जिसका शीर्षक था, ‘राजस्थान: स्टाम्प पेपर पर बेची जाती हैं लड़कियां, नहीं बेंचने पर मां से दुष्कर्म’।
अखबार में खबर है कि प्रदेश के आधा दर्जन से अधिक जिलों में 8 साल से कम उम्र तक की लड़कियों की स्टांप पेपर पर खुलेआम नीलामी की जा रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जब भी दो पक्षों के बीच विशेष रूप से वित्तीय लेनदेन और ऋण को लेकर कोई विवाद होता है, तो लोग मामले को निपटाने के लिए जाति आधारित पंचायतों से संपर्क करते हैं।
ये पंचायतें वित्तीय विवादों का निपटारा करती हैं और ऋणदाता परिवारों से संबंधित युवा लड़कियों की नीलामी करके धन की वसूली करती हैं। इसके बाद लड़कियों को उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, मुंबई, दिल्ली और यहां तककि विदेशों में भेज दिया जाता है और उन्हें शारीरिक शोषण, प्रताड़ना और यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया जाता है। अगर परिवार अपनी लड़कियों को बेचने से इनकार करते हैं, तो स्थानीय जाति पंचायतों के फरमान पर उनकी माताओं के साथ बलात्कार किया जाता है।
रिपोर्ट में कुछ ऐसे मामलों का जिक्र किया गया है, जिनमें लड़कियों ने अपनी आपबीती सुनाई है। एक मामले में एक लड़की ने बताया कि उसके पिता ने 15 लाख रुपये का कर्ज लिया था। आखिरकार जब वह कर्ज का भुगतान करने में असमर्थ रहा, तो उसे अपनी बहन, फिर अपनी तीन बेटियों और बाद में परिवार की एक 12 वर्षीय लड़की को बेचने के लिए मजबूर किया गया, जिसे आठ लाख रुपये में बेचा गया था।
लड़की ने बताया कि खरीदार उसे मध्य प्रदेश ले गया। उसने आगे बताया कि उसके पिता का कर्ज अभी भी पूरी तरह से नहीं चुकाया गया है। एक अन्य मामले में एक लड़की ने बताया कि उसके पिता ने उसकी मां और दादी के इलाज के लिए कर्ज लिया था और जब वह कर्ज नहीं लौटा सका तो उसे 12 साल की उम्र में उसे बेचने के लिए मजबूर किया गया। उसने कहा कि उसे जयपुर और आगरा ले जाया गया और तीन बार उसे अन्य खरीदारों को बेच दिया गया।
वहीं स्वाति मालीवाल ने अपने पत्र में इस मामले को भयावह बताया है और इन आपराधिक गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की है। उन्होंने उन लोक सेवकों/अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की भी सिफारिश की है, जिन्होंने ऐसे अपराधियों को समृद्ध होने दिया और राज्य की महिलाओं और लड़कियों की रक्षा के लिए अपने कर्तव्य को निभाने में विफल रहे।