सावन के पहले सोमवार की पूर्व संन्ध्या पर काशी में उमड़ा कावड़ियों-शिवभक्तों का रेला
-पुलिस कमिश्नर ने बैठक कर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अफसरों को दिए दिशा निर्देश
वाराणसी, 17 जुलाई। सावन मास के पहले सोमवार की पूर्व संध्या पर रविवार शाम से ही काशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए कावड़ियों और शिवभक्तों का जत्था उमड़ने लगा है। अपरान्ह बाद से ही शहर के विभिन्न मार्गो से कांवड़ियों पहले सोमवार पर जलाभिषेक के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र में जुटने लगे। सावन माह में कावड़ियों की भीड़ देखते हुए जिला प्रशासन ने उनके आराम के लिए दशाश्वमेध स्थित चितरंजन पार्क में व्यवस्था की है। रात्रि में विश्राम के बाद भोर में गंगा स्नान के कर कांवड़िये बाबा के दर्शन के लिए कतारबद्ध हो जायेंगे। कई कावंड़ियों ने रविवार शाम को ही बैरिकेडिंग में अपना स्थान छेक लिया। उधर ,सावन के सोमवार को लेकर पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश ने चौक थाने में रविवार को सुरक्षा व्यवस्था में लगाये गये बाहर से आए राजपत्रित पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की। सावन में बाबा धाम आने वाले कांवरियों के दर्शन के साथ ही उनकी सकुशल रवानगी, अन्य शिव मंदिरों में सोमवार को होने वाली भीड़, सुरक्षा आदि व्यवस्थाओं को लेकर बात की। आवश्यक दिशा निर्देश दिए। इसके साथ उन्होंने सावन मास के प्रथम सोमवार की तैयारियों को अंतिम रूप भी दिया।
-पहले सोमवार पर यदुवंशी काशी विश्वनाथ धाम के रास्ते जल लेने ललिताघाट जाएंगे
सावन के पहले सोमवार को यदुवंशी मानमंदिर घाट से जल लेकर डेढ़सीपुल, साक्षी विधायक, ढुंढिराज गणेश, अन्नपूर्णा मंदिर होते काशी विश्वनाथ का जलाभिषेक करेंगे। इसके बाद विश्वनाथ धाम से ललिता घाट जाएंगे। ललिता घाट से जल लेकर यात्रा के छठे पड़ाव महामृत्युंजय मंदिर की ओर रवाना होंगे।
चंद्रवंशी गोप सेवा समिति के प्रदेश अध्यक्ष लालजी यादव के अनुसार सावन के पहले सोमवार पर कांवरियों की भारी भीड़ की संभावना को देखते हुए जिला प्रशासन ने यदुवंशी समाज से सिंधियाघाट पर जल लेने का प्रस्ताव रखा था लेकिन समिति के पदाधिकारी परंपरा से कोई समझौता करने के लिए तैयार नहीं थे। उन्होंने बताया कि यदुवंशी समाज की वार्षिक कलश यात्रा में केदार घाट के गौरी केदारेश्वर मंदिर, तिलभांडेश्वर महादेव, दशाश्वमेध स्थित शीतला मंदिर, आह्लादेश्वर महादेव, काशी विश्वनाथ, महामृत्युंजय, त्रिलोचन महादेव, ओमकारेश्वर महादेव अगर लाट भैरव का जलाभिषेक करने की परंपरा है।