राष्ट्रीय

बिलकिस बानो केस के दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जवाब, कहा- सुभाषिनी और महुआ का केस से कोई ताल्लुक नहीं

नई दिल्ली, 24 सितंबर। बिलकिस बानो गैंगरेप केस के दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया है। जवाब में कहा गया है कि गुजरात सरकार का उनकी रिहाई का फैसला कानूनी तौर पर ठीक है। उनकी रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता सुभाषिनी अली और महुआ मोइत्रा का केस से कोई संबंध नहीं है। आपराधिक केस में तीसरे पक्ष के दखल का कोई औचित्य नहीं बनता है।

दोषियों के जवाब में कहा गया है कि उनकी रिहाई के खिलाफ न तो गुजरात सरकार ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और न ही पीड़ित ने। यहां तक कि इस मामले के शिकायतकर्ता ने भी कोर्ट का दरवाजा नहीं खटखटाया है। ऐसे में कानून की स्थापित मान्यताओं का उल्लंघन होगा।

कोर्ट ने 25 अगस्त को गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने इस मामले में दोषियों को भी पक्षकार बनाने का निर्देश दिया था। याचिका सीपीएम की नेता सुभाषिनी अली और तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि बिलकिस बानो गैंगरेप के 11 दोषियों को रिहा करना गैरकानूनी है। इन्हें 14 लोगों की हत्या का भी दोषी करार दिया गया था।

उल्लेखनीय है कि 27 फरवरी, 2002 को गोधरा कांड के बाद पूरे गुजरात में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे। इसी के बाद 3 मार्च, 2002 को अहमदाबाद से 250 किमी दूर रंधीकपुर गांव में बिलकिस बानो के परिवार पर भीड़ ने हमला कर दिया था। इस हमले में उसकी 3 साल की बेटी सहित परिवार के सात लोगों की हत्या कर दी गई थी। पांच माह की गर्भवती बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। बिलकिस बानो ने इसके अगले दिन यानी 4 मार्च, 2002 को पंचमहल के लिमखेड़ा पुलिस स्टेशन में अपनी शिकायत दर्ज करायी थी। इस घटना की शुरुआती जांच अहमदाबाद में हुई थी। सीबीआई ने 19 अप्रैल, 2004 को अपनी चार्जशीट दाखिल की थी। इसके बाद बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यह आशंका जाहिर की थी कि गवाहों को नुकसान पहुंचाया जा सकता है और सीबीआई के साक्ष्यों से छेड़छाड़ की जा सकती है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त, 2004 में मामले को मुंबई ट्रांसफर कर दिया। स्पेशल कोर्ट ने 21 जनवरी, 2008 को दिए अपने फैसले में 11 लोगों को दोषी ठहराया था। इन 11 दोषियों ने अपनी सजा के खिलाफ बांबे हाईकोर्ट में अपील की थी। बांबे हाईकोर्ट ने इनकी सजा बरकरार रखी थी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker