बिहार

 नगर निकाय चुनाव में आरक्षण विरोधी नीति पर भाजपा का धरना प्रदर्शन

सहरसा,17 अक्टूबर। बिहार सरकार के अति पिछड़ा आरक्षण विरोधी नीति के कारण रद्द हुए नगर निकाय चुनाव के विरोध में भारतीय जनता पार्टी द्वारा जिले के सभी दस प्रखंड मुख्यालय पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया।कहरा प्रखंड मुख्यालय पर आयोजित इस कार्यक्रम मे अध्यक्षता कहरा मंडल अध्यक्ष अभिलाष कुमार एवं संचालन पूर्व मंडल अध्यक्ष कहरा राजेश गुप्ता ने किया। इस धरना प्रदर्शन में मुख्य अतिथि के रुप में बिहार सरकार के पूर्व मंत्री व सहरसा विधायक डॉ आलोक रंजन एवं भाजपा जिला अध्यक्ष दिवाकर सिंह उपस्थित थे।

डॉ आलोक रंजन ने कहा कि सोमवार को भाजपा द्वारा बिहार के संपूर्ण प्रखंड मुख्यालय पर आरक्षण बचाओ चुनाव करवाओ राज्यव्यापी धरना प्रदर्शन कार्यक्रम किया गया है।वर्ष 2005 से ही बिहार में भाजपा और नीतीश कुमार के साझा सरकार के दौरान अति पिछले वर्ग के विकास के लिए जितनी बनी चाहे वो पंचायती राज नगर निकायों में आरक्षण से जुड़ी हो।नौकरियों में आरक्षण से जुड़ी हो, शिक्षा से जुड़ी हो, उन सभी नीतियों के निर्माण में और उनकी संवैधानिकता बरकरार रखने में भाजपा की भूमिका बेहद बड़ी रही है। बिहार में लालू यादव के आतंकराज की वजह से 2005 तक कानून व्यवस्था एक बड़ी चुनौती बन चुकी थी।भाजपा ने सुशासन का मार्ग प्रशस्त किया ताकि अतिपिछडे समाज को राजद समर्थ वर्ग सता नहीं सके और ना ही परेशान कर सके।

बिहार में तत्कालीन नियमों के आलोक में 2005 मे भाजपा ने आयोग बनाया था और निकाय के सीटो की वर्गीकरण करने के बाद आरक्षण का रोस्टर बनाया और सफलतापूर्वक चुनाव सम्पन्न कराया था। इसके बाद 2006 में आरक्षण के नियमों के आलोक में पूरे प्रदेश में सभी प्रकार से स्थानीय निकाय के चुनाव हिंसा मुक्त, कदाचार मुक्त दवाब डर और भयमुक्त माहौल में संपादित होते रहे हैं। राजद के साथ जाकर नीतीश कुमार अब अति पिछड़े की हकमारी करने में लगे हैं।उनकी इच्छा है की किसी प्रकार स्थानीय निकाय के चुनाव पर निषेध लगे और अपने अफसरों के सहारे एकतरफा शासन क एजेंडा बनाया जा सके।

भाजपा जिलाध्यक्ष दिवाकर सिंह ने कहा की आज बिहार के उच्च न्यायालय ने नीतीश कुमार के वास्तविक चरित्र को सबके सामने उजागर कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में नगर निकायों के चुनावों में नियमावलियों का प्रावधान किया है। कोई राज्य उन नियमों की अवहेलना नहीं कर सकता है। उच्चअदालत का फैसला सुप्रीम कोर्ट के प्रावधानों के आलोक में ही आया है।बिहार सरकार के मुखिया नीतीश कुमार और अपरोक्ष परंतु मूल मुखिया लालू यादव एवं तेजस्वी यादव ने बिहार के अतिपिछड़े वर्ग के तमाम 4600 उम्मीदवारों के साथ सीधा धोखा किया है। नीतीश कुमार ने यह काम अपने नवरत्न अफसरों के साथ मिलकर किया है,क्योंकि शासन में नीतीश कुमार के पसंद के कुछ अफसर और पसंद के 3-4 नेताओं को जनता का खजाना लूटने का मौका मिल सके।

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