मौसम परिवर्तन के साथ पशुधन प्रबंधन आवश्यक : डॉ. शशिकांत
कानपुर, 24 अक्टूबर । चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दलीपनगर के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ शशिकांत ने बताया कि इस समय मौसम परिवर्तित हो रहा है। इस समय पशुपालक भाई अपने पशुओं की विशेष देखभाल करें।
उन्होंने बताया कि सर्दियों का मौसम शुरू हो गया है, लेकिन दिन में तापमान बढ़ जाता है और रात में तापमान में गिरावट आ जाती है। इससे दुधारू पशुओं के दूध उत्पादन में असर पड़ता है। ऐसी स्थिति में पशुपालक भाई पशुओं के स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें तथा पशु बाड़ा में सुबह-शाम जूट के बोरों का पर्दा बनाकर दरवाजे एवं खिड़कियों को ढक दें एवं सुबह होते ही पर्दों को लपेट दें। क्योंकि रात के समय मौसम में ठंडक होने के कारण पशुओं को सर्दी लगने से बचाव किया जा सकता है। साथ ही पशु बाड़े में रात के समय नीम की पत्तियों का हल्का धुआं कर दें। जिससे कि मच्छरों का प्रकोप न हो सके और पशुओं का मच्छरों से बचाव हो। पशु पालकों को एक बात विशेष ध्यान देना चाहिए कि अपने पशुओं को रात भर रखा हुआ पानी न पिलाए क्योंकि रात का पानी ठंडा होने के कारण पीने पर पशु धांसने लगता है।
उन्होंने कहा कि साथ ही संभव हो सके तो अपने पशुओं को ताजा पानी पीने को दें तथा कम से कम 24 घंटे में 25 से 30 लीटर पानी पिलाएं। इसके साथ ही पशुओं को सुबह शाम ख़ुराईरा अवश्य करें, जिससे कि उनके दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होगी। साथ ही साथ जो बाहे परजीवी जैसे जू एवं किलनी आदि जानवर के शरीर पर लग जाते हैं उनसे भी छुटकारा मिल जाएगा। उन्होंने बताया कि सर्दी से बचाव के लिए दुधारू पशुओं को लगभग 500 ग्राम गुड़ प्रतिदिन खिलाए। जिससे पशु को ऊर्जा प्राप्त होती है पशुओं का सर्दी से बचाव हो सकेगा। एक बात का पशुपालक विशेष ध्यान रखें कि सुबह ओस में पशुओं को चराने न जाएं। पशुपालक भाई पेट के कीड़ों की दवा पशु चिकित्सक की सलाह पर दें।