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पुराने किले की खुदाई में मिले ऐतिहासिक साक्ष्यों से रूबरू होंगे जी-20 देशों के प्रतिभागी

नई दिल्ली, 21 जनवरी। दिल्ली में होने वाली जी-20 की बैठकों में भाग लेने वाले मेहमानों को ऐतिहासिक धरोहरों से भी रूबरू कराया जा जाएगा। जी-20 प्रेसीडेंसी के तहत सितंबर में होने वाली जी-20 बैठक में भाग लेने वाले मेहमानों को पुराने किले में हुई खुदाई में मिले ऐतिहासिक साक्ष्यों से रूबरू कराने की तैयार भी शुरू कर दी गई है।

पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ की खोज के मद्देनजर पुराने किले में हाल ही में खुदाई शुरू की गई है। पुरातत्वविदों को उम्मीद है कि इस बार इस ऐतिहासिक शहर के कुछ साक्ष्य और मिलने की संभावना है जिससे यहां सबसे पहले रहने वाले लोगों के बारे में जानकारी मिल सकेगी। इसके साथ पुराने किले में मौजूद शेर मंडल, हमाम सहित के अन्य स्मारकों का भी जीर्णोद्धार किया जा रहा है।

पुराना किले में पहले भी तीन बार खुदाई की जा चुकी है। पुरातत्वविद प्रोफेसर बीबी लाल के नेतृत्व में की गई खुदाई में चित्रित धूसर मृदभांड भी मिले थे जिससे इस स्थान के 1000 ईसा पूर्व से पहले का होने के संकेत मिलते हैं। हालांकि उसके बाद की गई खुदाई में यह साक्ष्य नहीं मिले हैं। पुराने किले में अबतक किए गए उत्खनन के कार्य में शुंग, शक-कुषाण, गुप्त काल, गुप्तोत्तर काल, राजपूत काल तथा उत्तरवर्ती सल्तनत एवं मुगल काल के ऐतिहासिक साक्ष्य मिले हैं।

संस्कृति मंत्रालय इस खुदाई स्थल पर एक अस्थाई संग्रहालय भी बनाने की तैयारी कर रहा है जिसमें लोग तमाम काल के परतों को देख सकेेंगे। इस संग्रहालय में अबतक की खुदाई में मिली चीजों को भी प्रदर्शित किया जाएगा। इस संग्रहालय को सितंबर तक तैयार किए जाने की याेजना है।

इसके साथ ही शेर मंडल तक जाने के लिए नया रास्ता बनाया जा रहा है। शेर मंडल की सीढ़ियों से गिरकर 1556 में हुमायूं की मौत हो गई थी। इसके साथ शेर मंडल के पास हमाम का संरक्षण कार्य कराया गया है। यह खंडहर के रूप में तब्दील हो गया था, मगर एएसआइ ने इसकी सुध ली है और इसका संरक्षण कार्य कराया है।

पुराने किले का इतिहास

पुराना किला का निर्माण सूरवंश के संस्थापक शेरशाह सूरी ने हुमायूं को हराने के बाद करवाया था।1540 में चौसा के युद्ध में हुमायूं को हराने के बाद हुमायूं के बसाये दीन पनाह नगर को नष्ट करके उसकी जगह शेरगढ़ नाम का शहर बसाया। इसके लिए उसने पुराने किले का निर्माण करवाया। जिसे 1545 में पूरी तरह बना लिया गया था। लेकिन सन 1545 में ही हुमायूं ने शेरशाह सूरी को युद्ध में हराने के बाद फिर से दिल्ली पर कब्ज़ा कर लिया था। सन 1556 में हुमायूं की शेर मंडल से गिरकर मौत हो गई।

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