अकाली नेता रामूवालिया को जेल मंत्री बनाने के ‘मुलायम’ फैसले से सब रह गए थे भौचक्के
चंडीगढ़/नई दिल्ली, 10 अक्टूबर। नेता जी के नाम से जाने जाने वाले मुलायम सिंह का निधन होने के बाद उनके सियासी सफर से जुड़ीं कई महत्वपूर्ण घटनाएं भी याद की जा रही हैं। ऐसी ही एक अहम घटना की कड़ी पंजाब से भी जुड़ी हुई है।
बात साल 2015 की है। उस समय उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार थी। उस समय अचानक मुलायम सिंह ने पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (बादल) के दिग्गज नेता बलवंत सिंह रामूवालिया को बुलाकर रातों-रात उत्तर प्रदेश का जेल मंत्री घोषित कर दिया था। उनके इस फैसले से हर कोई हैरान था और इस फैसले ने उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पंजाब की सियासत में भी भूचाल ला दिया था।
जेल मंत्री बनते वक्त रामूवालिया ने इसके पीछे की वजह समाजवादी पार्टी से लंबा जुड़ाव होना बताया था। उन्होंने कहा था कि सपा ने उनका 1996 में राज्यसभा सदस्य के रूप में भरपूर समर्थन किया था। इसलिए नेता जी का फोन आने के बाद वे उनके इस प्रस्ताव को नकार नहीं सके लेकिन जेल मंत्री बनने के बाद रामूवालिया ने धीरे-धीरे अपनी ही सरकार पर हमला बोलना शुरू कर दिया। उनके आरोप थे कि उनके विभाग में कैदियों को पैरोल देने के लिए 50-50 हज़ार रुपये घूस ली जाती है।
उन्होंने जेल में भ्रष्टाचार और जेल अधिकारियों पर कामचोरी का आरोप लगाया था। इसी बात से परेशान होकर रामूवालिया ने वापस पंजाब की सियासत में जाने का भी निर्णय ले लिया था। इसी साल हुए विधानसभा चुनाव से पहले रामूवालिया पंजाब आ गए। वह 1996 में शिरोमणि अकाली दल (बादल) में विलय हुई अपनी लोक भलाई पार्टी को रिलान्च करने की तैयारी में जुट गए।
दरअसल, नेता जी के इस फैसले के पीछे बहुत बड़ी वजह थी। यूपी के तराई वाले इलाके में सिख वोटर चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं। उस समय शिरोमणि अकाली दल (बादल) ने उत्तर प्रदेश में 35 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया था। इसके लिए पार्टी ने यूपी के लिए अपने सात इंचार्ज भी नियुक्त किए थे। अकाली दल के इसी फैसले को पलटने के लिए नेता जी ने रामूवालिया को उत्तर प्रदेश की सियासत में कैबिनेट मंत्री बनाया था।
उधर यूं अचानक पंजाब से उठकर उत्तर प्रदेश चले जाने के बाद अकाली दल ने रामूवालिया को अपनी कोर कमेटी की सदस्यता से निकाल दिया था। उनकी बेटी अमनजोत कौर को भी मोहाली प्लानिंग बोर्ड की चेयरपर्सन से हटा दिया गया था। इसके बाद 2021 में अमनजोत कौर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गईं।