स्वायत्तता के बिना विकास सम्भव नहीं : प्रो पीके साहू
प्रयागराज, 11 नवम्बर। विकास स्वायत्तता के बिना सम्भव नहीं होता। यदि हम किसी से नियंत्रित होंगे तो वह हमारी स्वायत्तता पर बाधा उत्पन्न करेगा। स्वायत्तता का संप्रत्यय संकुचित होता है क्योंकि किताब पढ़ने से स्वायत्तता नहीं आती। किताब पढ़ना गाइडेड इंस्ट्रक्शन के अंतर्गत आता है।
यह बातें इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर पी के साहू ने उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के रजत जयंती वर्ष में आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के अवसर पर शुक्रवार को व्याख्यान देते हुए कहा। उन्होंने कहा कि औपचारिक शिक्षा एवं मुक्त विश्वविद्यालय की शिक्षा के दर्शन में जिस प्रकार का अंतर है उसी तरह से औपचारिक शिक्षक एवं मुक्त विवि के शिक्षक में भी अंतर होता है। कहा कि नई शिक्षा नीति शिक्षार्थी की स्वायत्तता पर बल देती है। आधुनिक शिक्षा में अनुभव आधारित शिक्षा विज्ञान का एक स्वरूप है।
प्रो साहू ने कहा कि सोच, विचार और सृजनता कभी नष्ट नहीं होती। उसका स्वरूप अत्यंत सूक्ष्म होता है। मानव जैसे-जैसे विकास करता जाता है उसी के अनुरूप सूक्ष्म ज्ञान भी आगे बढ़ता जाता है। उन्होंने स्वावलंबन पर जोर देते हुए कहा कि जब तक हम स्वावलम्बी नहीं होंगे विकास बाधित रहेगा। क्योंकि दूसरे पर निर्भर रह कर सम्पूर्ण विकास संभव नहीं हो सकता।
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर सीमा सिंह ने कहा कि देश के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। उनका मानना था कि शिक्षा समाज में हमें जीने का मौका देती है। शिक्षा मजबूती प्रदान करती है तथा ऊंचाई पर ले जाने में शिक्षा की सशक्त भूमिका है। उन्होंने कहा कि दूरस्थ शिक्षा पद्धति में छात्र हमसे दूर रहता है। इसीलिए शिक्षक का प्रतिनिधित्व पाठ्य सामग्री करती है। पाठ्य सामग्री की संवेदनशीलता ही छात्र को दूरस्थ शिक्षा पद्धति में शिक्षक का बोध कराती है। नई शिक्षा नीति में जड़ों से जुड़ने की बात कही गई है। दूरस्थ शिक्षा पद्धति में विकास की अनंत संभावनाएं हैं। हम अच्छे शिक्षार्थियों का निर्माण कर सकते हैं। मुक्त विवि के माध्यम से जीवन पर्यंत शिक्षा ग्रहण की जा सकती है।
कार्यक्रम में शिक्षा विद्या शाखा के निदेशक प्रोफेसर पी के स्टालिन ने अतिथियों का स्वागत तथा पी के वर्मा ने विषय प्रवर्तन किया। संचालन डॉ संजय कुमार सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर पी के पांडेय ने किया।